सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को “न्याय आपके द्वार” की अवधारणा को दोहराते हुए आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में मचलीपट्टनम से अवनिगड्डा स्थानांतरित की जा रही एक सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अदालत की टिप्पणियों को देखते हुए याचिका वापस ले ली।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. गवई (Chief Justice B.R. Gavai) और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने टिप्पणी की, “जब भी कोई नई अदालत स्थापित होती है, वकील उसका विरोध करते हैं। अदालतें केवल वकीलों के लिए नहीं होतीं, वे मूल रूप से वादियों के लिए होती हैं। हम ‘न्याय आपके द्वार’, ग्राम न्यायालय आदि की बात कर रहे हैं।”
यह टिप्पणी बुर्गड्डा अशोक कुमार द्वारा दायर उस याचिका पर आई, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें मचलीपट्टनम की VI अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय को अवनिगड्डा स्थानांतरित करने के निर्णय को बरकरार रखा गया था।

हाईकोर्ट ने इससे पहले मचलीपट्टनम बार एसोसिएशन की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि हालांकि स्थानांतरण से स्थानीय वकीलों को कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन यह कदम अंततः वादियों के व्यापक हित में होगा।
सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का निर्णय लिया।