सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गोवा में रह रहे एक इजरायली कारोबारी को कड़ी फटकार लगाई, जिसने कर्नाटक के जंगल से बचाई गई दो नाबालिग बच्चियों और उनकी रूसी मां की रूस वापसी रोकने के लिए याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने उसकी कानूनी स्थिति और बच्चों पर अधिकार को लेकर सख्त सवाल पूछते हुए कहा कि भारत “ऐसा सुरक्षित ठिकाना बन गया है जहां कोई भी आकर रह सकता है।”
ड्रोर श्लोमो गोल्डस्टीन, जो खुद को छह और पांच साल की दो बच्चियों का पिता बताता है, ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें केंद्र सरकार को परिवार के प्रत्यावर्तन के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने की अनुमति दी गई थी।
पीठ ने गोल्डस्टीन के वकील से बार-बार यह पूछा कि भारत में उसकी वैध स्थिति क्या है और बच्चों पर उसका कानूनी अधिकार किस आधार पर है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “आप कौन हैं? आपका क्या अधिकार है?… कोई आधिकारिक दस्तावेज दिखाइए जिसमें आपको नाबालिग बच्चियों का पिता बताया गया हो।” उन्होंने यहां तक पूछा कि अदालत उसके देश से निर्वासन का निर्देश क्यों न दे।
न्यायमूर्ति बागची ने याचिका को “पब्लिसिटी लिटिगेशन” बताते हुए वकील से सवाल किया, “जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे तब आप क्या कर रहे थे?”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने जोड़ा, “आप गोवा में क्या कर रहे थे? क्या आपके पास इस देश में रहने के वैध दस्तावेज थे? आप नेपाल गए, वीजा बढ़वाया और फिर गोवा लौट आए।”
अदालत का रुख समझते हुए गोल्डस्टीन के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “यह देश एक ऐसा सुरक्षित ठिकाना बन गया है जहां कोई भी आकर रह सकता है।”
11 जुलाई 2025 को कर्नाटक पुलिस ने नियमित गश्त के दौरान गोकर्णा के कुमटा तालुक क्षेत्र के रामतीर्था हिल्स के जंगल से 40 वर्षीय रूसी नागरिक नीना कुटिना और उनकी दो बेटियों को बचाया। यह परिवार लगभग दो महीने से बिना किसी वैध यात्रा या निवास दस्तावेज के जंगल में रह रहा था। बाद में इन्हें राज्य के महिला विदेशी प्रतिबंध केंद्र (Foreigners Restriction Centre) भेज दिया गया।
26 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह परिवार की रूस वापसी के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करे। अदालत ने गौर किया कि कुटिना ने स्वयं रूसी वाणिज्य दूतावास को पत्र लिखकर जल्द से जल्द अपने देश लौटने की इच्छा जताई थी। इसके बाद वाणिज्य दूतावास ने उनके और बच्चों के लिए 9 अक्टूबर तक वैध आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए।
हाई कोर्ट में गोल्डस्टीन ने बच्चों की रूस वापसी का विरोध किया था। उसका कहना था कि कस्टडी से जुड़ी कार्यवाही लंबित रहने के दौरान उन्हें रूस भेजना बच्चों के सर्वोत्तम हित में नहीं होगा। लेकिन अदालत ने पाया कि उसने यह संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया कि मां और बच्चे गुफा में एकांत में क्यों रह रहे थे।
अदालत ने बच्चों के हित के सिद्धांत को सर्वोपरि मानते हुए कहा कि मां की रूस लौटने की इच्छा और रूसी सरकार की तत्परता अन्य बातों पर भारी पड़ती है। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि दूसरी बच्ची की डीएनए रिपोर्ट रूसी सरकार को भेज दी गई है, जिसके बाद उन्हें रूसी नागरिकता और आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए गए।
गोल्डस्टीन ने इससे पहले दिसंबर 2024 में गोवा के पणजी थाने में अपनी बच्चियों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी।