सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले में पति के रिश्तेदारों पर दर्ज केस खारिज किया, कहा- परेशान करने वाला मुकदमा

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न की शिकायत को खारिज कर दिया है। अदालत ने इस मामले को “वेक्सेशियस ट्रायल” यानी केवल परेशान करने के उद्देश्य से चलाया गया मुकदमा करार देते हुए कहा कि पति के परिजनों को बिना ठोस आरोपों के गलत तरीके से मामले में घसीटा गया।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने कहा कि शिकायत महिला की शादी टूटने के तीन साल बाद, मई 2012 में तलाक के डिक्री के बावजूद दर्ज की गई थी। अदालत ने पाया कि आरोप केवल पति के खिलाफ थे और रिश्तेदारों के खिलाफ महज एक अस्पष्ट आरोप था, जो अगस्त 2015 की एक कथित घटना से जुड़ा था।

READ ALSO  बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि विचारधारा-विशिष्ट सामग्री डाउनलोड करना यूएपीए का उल्लंघन नहीं है

जस्टिस मिश्र ने टिप्पणी की, “यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ताओं को केवल उनके पति से पारिवारिक संबंधों के कारण मामले में शामिल किया गया। उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है जो उनके इस विवाद में संलिप्तता को साबित करे, खासकर उस अवधि में जब पति-पत्नी साथ रह रहे थे।”

Video thumbnail

मामले की पृष्ठभूमि में बताया गया कि जून 2010 में शादी के बाद दंपति कोटा में रहने लगे, लेकिन अक्टूबर 2010 तक पत्नी मायके लौट गई। पति ने संबंध सुधारने का प्रयास किया, लेकिन पत्नी के अदालत में पेश न होने के कारण पारिवारिक न्यायालय ने तलाक का एकतरफा आदेश दे दिया।

2015 में महिला ने पति के रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि वे उसके घर आकर दहेज की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अविश्वसनीय माना, क्योंकि तलाक पहले ही हो चुका था।

READ ALSO  मेरठ : नपुंसक कहने पर पति ने दिया तीन तलाक, पान में खिलाया जहर

जस्टिस करोल ने कहा, “तलाक के तीन साल बाद रिश्तेदारों द्वारा समझौते की कोशिश या दहेज मांगने का आरोप आधारहीन है। ऐसे हालात में मुकदमा चलाना केवल अपीलकर्ताओं को अनावश्यक रूप से परेशान करना होगा।”

यह निर्णय उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट की गंभीरता को दर्शाता है, जहां दहेज कानूनों का दुरुपयोग करके पति के दूर-दराज के रिश्तेदारों को भी फंसाने की कोशिश की जाती है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे निराधार दावों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता जो केवल कानूनी प्रणाली का दुरुपयोग करते हों।

READ ALSO  आबकारी नीति घोटाले में दिल्ली के सीएम केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles