सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ पुलिस को आदेश दिया कि शीर्ष माओवादी कमांडर कथा रामचंद्र रेड्डी का शव संरक्षित रखा जाए, जिन्हें 22 सितंबर को नारायणपुर जिले में कथित नकली मुठभेड़ में मारा गया था।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने निर्देश दिया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा याचिका पर निर्णय होने तक शव को दफनाया या जलाया नहीं जाएगा। पीठ ने कहा, “जब तक हाई कोर्ट इस याचिका पर फैसला नहीं करता, शव का अंतिम संस्कार/दफन नहीं किया जाएगा।” साथ ही अदालत ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि दुर्गा पूजा अवकाश के बाद मामले को शीघ्रता से सुना जाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है और सभी तर्क खुले रखे जा रहे हैं।

याचिका मृतक के बेटे राजा चंद्र ने अधिवक्ता सत्य मित्र के माध्यम से दायर की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी कि उनके पिता को कथित रूप से प्रताड़ित कर नकली मुठभेड़ में मारा गया और पुलिस शव को जल्दबाजी में निपटाने का प्रयास कर रही है। याचिका में मांग की गई थी कि जांच सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए और शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाए।
याचिकाकर्ता राजा चंद्र, जो नालसर लॉ यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में शोधकर्ता रहे हैं, ने यह भी आग्रह किया कि उनके पिता का शव सरकारी मोर्चरी में सुरक्षित रखा जाए।
छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुठभेड़ में कथा रामचंद्र रेड्डी और कदरी सत्यनारायण रेड्डी मारे गए। उन्होंने बताया कि कथा रामचंद्र रेड्डी पर सात राज्यों ने 7 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था।
मेहता ने यह भी जानकारी दी कि दूसरे माओवादी का शव परिवार को सौंपकर उसका अंतिम संस्कार किया जा चुका है, जबकि रेड्डी का शव अस्पताल में सुरक्षित है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पोस्टमार्टम वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ कराया गया है, इसलिए पुलिस पर किसी प्रकार की दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
पीठ ने यह भी दर्ज किया कि याचिकाकर्ता पहले छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट गए थे, लेकिन अवकाश के कारण तत्काल सुनवाई नहीं हो सकी और इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि शव को हाई कोर्ट के निर्णय तक संरक्षित रखा जाए।