उपभोक्ताओं को खरीदे गए उत्पादों की गुणवत्ता, प्रमाणन और विक्रेता से जुड़ी जानकारी जानने का मौलिक “अधिकार” दिए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे प्रत्येक वितरक, व्यापारी और दुकानदार को अपने पंजीकरण की जानकारी — नाम, पता, फोन नंबर और कर्मचारियों की संख्या — दुकान के प्रवेश द्वार पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने के लिए बाध्य करें।
यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल की है, जिस पर आज जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ सुनवाई करेगी।
याचिका में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को उत्पाद या सेवा से जुड़ी शिकायत होने पर विक्रेता, वितरक या दुकानदार की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है ताकि वे उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकें।

“जानने का अधिकार उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी या भ्रामक वितरक, डीलर, व्यापारी या दुकानदार से बचाता है, जो उत्पाद या सेवा को गलत तरीके से पेश कर सकते हैं या लेनदेन के बाद गायब हो सकते हैं,” याचिका में कहा गया है।
याचिका में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(6), 2(9), 2(10) और 2(11) का हवाला देते हुए आग्रह किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट यह घोषित करे कि हर उपभोक्ता को न केवल उत्पाद की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता, मानक, निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि और बीआईएस/एफएसएसएआई प्रमाणन के बारे में जानने का अधिकार है, बल्कि विक्रेता, डीलर, वितरक और दुकानदार की जानकारी भी प्राप्त हो ताकि अनुचित व्यापारिक आचरण और शोषण से सुरक्षा मिल सके।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि जब व्यापारियों द्वारा पारदर्शिता बरती जाती है, तो इससे एक निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी बाजार का निर्माण होता है जहां उपभोक्ता सोच-समझकर निर्णय ले सकते हैं।