सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल हिंसा पर कोर्ट-निरीक्षित जांच की याचिकाएं दायर

पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर भड़की हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। ये याचिकाएं राज्य के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ क्षेत्र में 14 अप्रैल को हुई ताजा झड़पों की पृष्ठभूमि में दायर की गई हैं, जहां हालात एक बार फिर तनावपूर्ण हो गए।

पहली याचिका अधिवक्ता शशांक शेखर झा द्वारा दायर की गई है, जिसमें विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की गई है ताकि हिंसा की घटनाओं की निष्पक्ष और गहन जांच सुनिश्चित की जा सके। याचिका में कहा गया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए न्यायिक निगरानी आवश्यक है।

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दूसरी याचिका वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की मांग की गई है। यह आयोग हिंसा की प्रकृति, कारणों और प्रभावों की विस्तृत जांच करेगा।

दोनों याचिकाओं में राज्य सरकार को हिंसा की घटनाओं पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने और आम नागरिकों के जीवन व संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई है। ये याचिकाएं उस पृष्ठभूमि में आई हैं जब हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा से प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था।

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गौरतलब है कि 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के सागरदिघी, सुत्ती, शमशेरगंज, धूलियन और जंगीपुर इलाकों में हुई हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे। यह हिंसा हाल ही में पारित वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़की, जो इस बात का संकेत देती है कि समुदाय के भीतर इस कानून को लेकर गहरी असंतुष्टि और तनाव है।

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