सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वे बडलापुर (ठाणे जिला) में दो किंडरगार्टन छात्राओं से दुष्कर्म के आरोपी अक्षय शिंदे की कथित हिरासत मौत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करें।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने राज्य की अपराध जांच विभाग (CID) को आदेश दिया कि वह दो दिनों के भीतर मामले से संबंधित सभी दस्तावेज DGP को सौंप दे।
यह निर्देश बॉम्बे हाईकोर्ट के अप्रैल में दिए उस आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर आया, जिसमें हाईकोर्ट ने संयुक्त पुलिस आयुक्त लक्ष्मी गौतम की निगरानी में SIT गठित करने को कहा था।
राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार को SIT के गठन पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह DGP की निगरानी में गठित की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आरोपों की प्रकृति और हाईकोर्ट द्वारा जताई गई गंभीर चिंताओं को देखते हुए, हम आदेश को संशोधित करते हैं और निर्देश देते हैं कि SIT का गठन DGP द्वारा उनके द्वारा उपयुक्त समझे गए अधिकारियों के साथ किया जाए।”
यह मामला सितंबर 2024 में पुलिस हिरासत में 23 वर्षीय अक्षय शिंदे की मौत से जुड़ा है। पुलिस का दावा था कि शिंदे ने एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनने की कोशिश की, जिसके जवाब में मुठभेड़ में उसे गोली मार दी गई। हालांकि, मजिस्ट्रेट जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट में पुलिस के दावे पर गंभीर सवाल उठाए गए थे।
शिंदे के माता-पिता ने हाईकोर्ट में स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, हालांकि बाद में उन्होंने केस जारी रखने में अनिच्छा भी जताई थी। बावजूद इसके, CID द्वारा बार-बार निर्देश के बावजूद FIR दर्ज न करने पर हाईकोर्ट ने SIT को जांच सौंपने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह भी स्पष्ट किया कि यदि शिंदे के माता-पिता को कोई और शिकायत हो तो वे संबंधित मजिस्ट्रेट या सत्र न्यायालय का रुख कर सकते हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की विशेष अनुमति याचिकाएं निस्तारित कर दीं।