कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर मध्य प्रदेश के बीजेपी मंत्री कुँवर विजय शाह को उनके मंत्री पद से हटाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर जो टिप्पणी की, वह संविधान के अनुच्छेद 164(3) के तहत लिए गए मंत्री पद की शपथ का उल्लंघन है।
यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की गई है और इसमें क्वो वारंटो रिट जारी कर मंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार, शाह का बयान न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सांप्रदायिक भावना भड़काता है, बल्कि भारत की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा है।
क्या कहा था विजय शाह ने?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर वायुसेना की कार्रवाई को लेकर प्रेस ब्रीफिंग की थी और वे अभियान का चेहरा बन गई थीं। इस पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में विजय शाह ने कहा:

“जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे… हमने उन्हीं की बहन को भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करवाई।”
डॉ. ठाकुर की याचिका के अनुसार, इस बयान में सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की ‘बहन’ कहा गया है, सिर्फ इसलिए कि वह मुस्लिम हैं। यह बयान धार्मिक आधार पर राष्ट्रविरोधी भावनाएं फैलाता है और संविधान में निर्धारित मंत्री पद की मर्यादा का उल्लंघन करता है।
शपथ का उल्लंघन और संविधान का हवाला
याचिका में संविधान की तीसरी अनुसूची में दिए गए फॉर्म V का उल्लेख किया गया है, जिसमें मंत्री पद की शपथ शामिल है:
“मैं ईश्वर की शपथ लेता/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूँगा… तथा बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष के अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूँगा।”
डॉ. ठाकुर का कहना है कि मंत्री का बयान इस शपथ का सीधा उल्लंघन है।
ताहसीन पूनावाला केस का उल्लेख
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के ताहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ फैसले का हवाला भी दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हेट क्राइम और सांप्रदायिक हिंसा संविधान के राजधर्म और कानून के शासन के विरुद्ध हैं। उस फैसले में संसद को मॉब लिंचिंग पर विशेष कानून बनाने की सिफारिश भी की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि शाह का बयान उसी प्रकार की सांप्रदायिक मानसिकता को बढ़ावा देता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही अस्वीकार्य ठहरा चुका है।
याचिका में मांगी गई राहत
याचिका में निम्नलिखित मांगें की गई हैं:
- बीजेपी मंत्री विजय शाह को उनके मंत्री पद से हटाने के लिए क्वो वारंटो रिट जारी की जाए
- न्यायहित में अन्य उचित आदेश पारित किए जाएं
पहले से चल रही सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
गौरतलब है कि विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर के सिलसिले में पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं लंबित हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
19 मई को कोर्ट ने आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश के बाहर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) इस मामले की जांच करेगी और तब तक शाह की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
28 मई को कोर्ट ने यह अंतरिम राहत आगे भी जारी रखी।