सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में लगातार इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर हाई कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है। ऐसे में समानांतर सुनवाई का कोई मतलब नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि 24 दिनों से लगातार पूर्ण रूप से इंटरनेट शटडाउन न केवल मनमाना है, बल्कि नागरिक अधिकारों का भी हनन है। याचिका वकील चोंगथम विक्टर सिंह और व्यवसायी मयेंगबाम जेम्स ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट बंद करने का असर अर्थव्यवस्था, मानवीय और सामाजिक आवश्यकता के साथ आम लोगों और उनके परिजनों की मानसिक अवस्था पर भी पड़ रहा है।
याचिका के मुताबिक इन्टरनेट बंद होने की वजह से लोगों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने, बैंकों से लेन-देन, ग्राहकों का भुगतान करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ई-मेल या मैसेज भेजने तक में रुकावट आ गई है। सरकार एक तो स्थिति में सुधार नहीं कर पा रही ऊपर से इंटरनेट बंद है। यह नागरिकों पर दोहरी मार है। उल्लेखनीय है कि मणिपुर हाई कोर्ट ने 19 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वो मैतई समुदाय को एसटी वर्ग में शामिल करने पर विचार करे। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद मणिपुर में हिंसा फैली गई।