बाघिन और शावकों की मौत पर SC ने कर्नाटक से मांगा जवाब, MM हिल्स में 80% वनकर्मी पद खाली होने पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के माले महादेवेश्वरा (MM) हिल्स वन्यजीव अभयारण्य में एक बाघिन और उसके चार शावकों की कथित तौर पर विष देकर हत्या किए जाने पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने इस घटना और वन प्रबंधन में प्रणालीगत खामियों को लेकर राज्य सरकार और केंद्र से जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची शामिल थे, ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए कर्नाटक सरकार और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) को नोटिस जारी किया। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की मदद से तैयार की गई थी और इसमें इस घटना को हाल के वर्षों में बाघों की मौत की सबसे बड़ी एकल घटना बताया गया।

CEC की जांच में पुष्टि हुई कि 26 जून को जिन बाघों के शव मिले थे, उन्हें जानबूझकर जहर दिया गया था—मवेशियों के शव पर कीटनाशक छिड़ककर उन्हें मारा गया। यह कार्रवाई ग्रामीणों द्वारा मवेशी हानि के प्रतिशोध स्वरूप की गई थी। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि MM हिल्स क्षेत्र में 80% वन वॉचर और 51% फॉरेस्टर पद खाली हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था बेहद प्रभावित हो रही है।

Video thumbnail

मुख्य न्यायाधीश गवई ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह स्थिति चिंताजनक है। सभी राज्यों को साथ लेकर इस समस्या का स्थायी समाधान खोजना होगा। इतनी बड़ी संख्या में पद खाली हैं।”

कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वह 80% पद रिक्त होने के कारणों पर शपथपत्र दाखिल करे। यह अभयारण्य BRT, कावेरी और सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को जोड़ने वाले 3,000 वर्ग किलोमीटर के बाघ गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

READ ALSO  केरल हाईकोर्ट के जज द्वारा विधवा वकील पर की गई टिप्पणी के लिए वकीलों का विरोध, सार्वजनिक माफी की मांग  

सीईसी की रिपोर्ट पेश करते हुए एमिकस क्यूरी के. परमेश्वर ने बताया कि ऐसी प्रतिशोधात्मक विष देने की घटनाएं पहले भी 2019–20 में बांदीपुर टाइगर रिजर्व में देखी गई थीं, लेकिन MM हिल्स में यह पहली घटना है। उन्होंने यह भी बताया कि क्षेत्र में वनकर्मियों को वेतन समय पर नहीं मिल रहा और ठेकेदारों के माध्यम से भर्ती के कारण जमीनी स्टाफ का मनोबल टूट रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, कई वन वॉचर महीनों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं और अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेने को मजबूर हैं, फिर भी वे गश्त करना जारी रखे हुए हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सरकार इस गंभीर मुद्दे को लेकर उचित कार्रवाई करेगी।

READ ALSO  पत्नी नौकरी कर रही है तो भी पति भरण पोषण देने के लिए बाध्य है- जानिए हाई कोर्ट का निर्णय

CEC ने कोर्ट से आग्रह किया कि मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन, उपकरण और मानवबल सुनिश्चित किया जाए। उसने ग्राम पंचायत और ज़िला विकास योजनाओं में संघर्ष समाधान रणनीति को शामिल करने तथा समयबद्ध मुआवज़ा और पशु क्षति क्षतिपूर्ति योजनाएं लागू करने की सिफारिश की ताकि ग्रामीण प्रतिशोधात्मक हिंसा से बचें।

अब तक जहर देने के मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि पिछले पांच वर्षों में कर्नाटक में 80 बाघों की मौत हुई है, जिनमें कुछ मौतें अस्वाभाविक थीं।

READ ALSO  आदिपुरुष: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्माताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आप कुरान पर गलत चीजों का चित्रण करते हुए एक लघु वृत्तचित्र भी बनाते हैं, तो आप देखेंगे कि क्या होगा

कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई कर्नाटक सरकार और MoEFCC के जवाब दाखिल करने के बाद करेगा।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles