सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पत्रकार अभिसार शर्मा को असम में दर्ज एफआईआर मामले में गिरफ्तारी से चार हफ्तों की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है। यह एफआईआर उनके एक वीडियो पोस्ट को लेकर दर्ज की गई थी, जिसमें उन्होंने राज्य की नीतियों की आलोचना की थी।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शर्मा को निर्देश दिया कि वे मामले को रद्द करने के लिए गुवाहाटी हाईकोर्ट का रुख करें। यह मामला एक निजी व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शर्मा ने अपने यूट्यूब चैनल पर डाले वीडियो में 3,000 बीघा जनजातीय भूमि को एक निजी संस्था को आवंटित करने के फैसले पर सवाल उठाए थे।
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस याचिका में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। यह धारा उन कृत्यों से संबंधित है जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालते हैं।

अभिसार शर्मा की ओर से अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि यह प्रावधान अस्पष्ट है और इसके दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है, जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारिता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश शर्मा को चार हफ्तों तक गिरफ्तारी से सुरक्षा देता है और इस अवधि में उन्हें हाईकोर्ट में राहत पाने का अवसर मिलेगा।