सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक 23 वर्षीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को बलात्कार के मामले में अंतरिम जमानत दे दी। आरोपी पिछले नौ महीने से न्यायिक हिरासत में है और अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, “एक हाथ से ताली नहीं बजती”, और इस मामले में धारा 376 (बलात्कार) लगाने की जांच एजेंसी की मंशा पर सवाल उठाया।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने सुनवाई करते हुए टिप्पणी की, “वह महिला कोई बच्ची नहीं है। वह 40 साल की है। वे दोनों साथ में जम्मू गए थे, और पति को कोई आपत्ति नहीं थी। आपने धारा 376 किस आधार पर लगाई?”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला अंतरिम जमानत देने के लिए उपयुक्त है क्योंकि आरोपी नौ महीने से जेल में है और अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को आरोपी को पेश करने का निर्देश दिया और यह स्पष्ट किया कि वह न तो अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करेगा और न ही महिला से संपर्क करेगा।
पीठ ने आरोपी के सोशल मीडिया प्रभाव को लेकर भी टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसे लोगों से कौन प्रभावित होता है?”
यह याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें आरोपी को गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
पुलिस के अनुसार, महिला की पहली बार आरोपी से 2021 में सोशल मीडिया पर बातचीत हुई थी। वह अपने कपड़ों के ब्रांड का प्रचार करने के लिए एक इन्फ्लुएंसर की तलाश कर रही थी। आरोपी ने कथित तौर पर कंटेंट निर्माण के लिए एक आईफोन की मांग की, जिसे महिला ने जम्मू के एक एप्पल स्टोर से उपलब्ध कराया।
शिकायत के अनुसार, आरोपी ने फोन को फिर से बेचने की कोशिश की, जिससे विवाद हुआ। इसके बाद, दिसंबर 2021 में आरोपी महिला के नोएडा स्थित घर आया और ₹20,000 लौटाने व माफी मांगने के बहाने उसे कनॉट प्लेस में एक ब्रांड शूट के लिए ले गया। रास्ते में उसने महिला को नशीली मिठाई खिलाई और वह बेहोश हो गई।
शिकायत में आरोप है कि आरोपी उसे हिंदू राव अस्पताल नहीं ले जाकर एक सुनसान जगह पर ले गया, जहां उसके साथ बलात्कार किया, उसका पैसा और नग्न तस्वीरें चुरा लीं। बाद में, आरोपी ने महिला को ब्लैकमेल कर कई बार जम्मू ले जाकर उसके साथ यौन शोषण, धमकी और पैसे की उगाही की।
इस आधार पर आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 354 (महिला पर हमला), 323 (चोट पहुँचाना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की मर्यादा का अपमान) और 34 (साझा मंशा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अब ट्रायल कोर्ट में आरोपी को पेश किया जाएगा और जमानत की शर्तें तय होंगी।