सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भीषण गर्मी (हीटवेव) से होने वाले जानलेवा प्रभाव से बचाने के लिए दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता अदिल शर्फुद्दीन की याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें गर्मी से बढ़ती मौतों पर चिंता जताई गई है और मजदूरों के लिए ठोस सुरक्षा उपाय लागू करने की मांग की गई है।
याचिका में बताया गया कि साल 2024 में अब तक 733 लोगों की मौत हीटवेव के कारण हुई है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

याचिका में प्रमुख मांगें शामिल हैं:
- गर्मी के चरम समय में काम के घंटों को समायोजित करने की बाध्यता
- कार्यस्थलों पर पानी, विश्राम स्थल और प्राथमिक चिकित्सा किट की अनिवार्य उपलब्धता
- सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं के लिए गर्मी से सुरक्षा के उपायों को अनिवार्य बनाना
- केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन
- हीट स्ट्रेस से मृत्यु या चोट के मामलों में मुआवजा देने की व्यवस्था
याचिकाकर्ता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के बीच दिहाड़ी मजदूरों, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं और खेतिहर श्रमिकों जैसे करोड़ों असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के जीवन, स्वास्थ्य और गरिमा की रक्षा करना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई नियत समय पर की जाएगी।