सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को कोल्हापुर की 30 वर्षीय मंदिर की हाथिनी महादेवी को जामनगर स्थित राधे कृष्ण टेम्पल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट के वनतारा अभयारण्य में स्थानांतरित करने के फैसले के खिलाफ दायर नई याचिका पर सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुकर की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया गया, जहां याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि हाथिनी को “जबरन मंदिर से ले जाया गया”।
महादेवी पिछले तीन दशकों से नंदनी गांव स्थित जैन धार्मिक स्थल स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पत्ताचार्य महास्वामी संस्था की देखरेख में थी। उनके स्थानांतरण को लेकर कोल्हापुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें हजारों लोग सड़कों पर उतरकर उनकी वापसी की मांग कर रहे हैं।

जुलाई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश को चुनौती दी गई थी। समिति ने कहा था कि धार्मिक परंपराओं के बजाय हाथिनी के कल्याण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
इसके बाद 28 जुलाई को न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने भी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी और हाथिनी के सुरक्षित एवं आरामदायक स्थानांतरण के निर्देश दिए थे।