सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार महेश लांगा की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है। यह मामला कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों से संबंधित है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के 31 जुलाई के आदेश के खिलाफ लांगा की याचिका पर नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अगर उन्हें रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा।
सुनवाई के दौरान पीठ ने लांगा की पत्रकारिता की भूमिका पर भी सवाल उठाया। अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, “ये किस तरह के पत्रकार हैं? पूरे सम्मान के साथ, कुछ बेहद ईमानदार पत्रकार होते हैं, लेकिन कुछ लोग हैं जो स्कूटर पर बैठकर खुद को ‘पत्रकार’ कहते हैं और सब जानते हैं कि वे वास्तव में क्या करते हैं।”

इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सब केवल आरोप हैं। उन्होंने कहा, “एक एफआईआर में उन्हें अग्रिम जमानत मिलती है, फिर दूसरी एफआईआर दर्ज होती है और उसमें भी जमानत मिलती है, अब तीसरी एफआईआर आयकर चोरी को लेकर दर्ज की गई है। इसके पीछे पृष्ठभूमि भी है।”
पीठ ने नोटिस जारी करते हुए गुजरात सरकार और ईडी से जवाब मांगा है।
लांगा को अक्टूबर 2024 में सबसे पहले एक जीएसटी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 25 फरवरी 2025 को ईडी ने कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया।
यह मनी लॉन्ड्रिंग केस अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज दो एफआईआर से उपजा है, जिनमें उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक कदाचार, विश्वासघात, cheating और लोगों को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
फिलहाल लांगा न्यायिक हिरासत में हैं और सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले गुजरात सरकार व ईडी से जवाब तलब किया है।