सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए।
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा कि निजता के मौलिक अधिकार में नागरिकों की राजनीतिक निजता और संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।
यह योजना, जिसे सरकार द्वारा 2 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया गया था, को राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।
योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बांड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बांड खरीद सकता है।