सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC), रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहयोगी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड (DAMEPL) और एक्सिस बैंक के बीच लंबे समय से चले आ रहे वित्तीय विवाद को सुलझाने के लिए एक सप्ताह की अंतिम मोहलत दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि तय समय-सीमा में समझौता नहीं हुआ, तो कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि सभी पक्षों के बीच बातचीत चल रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, हालांकि आधिकारिक रूप से नहीं, परंतु एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं ताकि समाधान में तेजी लाई जा सके।
पीठ ने वेंकटरमणि से DAMEPL और एक्सिस बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों का विवरण तैयार रखने को कहा, ताकि आवश्यकता पड़ने पर अदालत स्वयं हस्तक्षेप कर सके। अदालत ने कहा, “हम एक सप्ताह प्रतीक्षा करेंगे। अगर वे विवाद सुलझा लेते हैं तो ठीक, अन्यथा कानून अपना रास्ता अपनाएगा।” इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को तय की गई है।
शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2024 में दिए गए अपने फैसले को दोहराते हुए कहा कि वह बाध्यकारी है। इस फैसले में अदालत ने अपने ही पूर्व के निर्णयों को पलटते हुए DAMEPL को एक्सिस बैंक द्वारा संचालित एस्क्रो खाते से लगभग ₹2,500 करोड़ की राशि DMRC को लौटाने का निर्देश दिया था। यह फैसला DMRC द्वारा दायर क्यूरेटिव याचिका पर आया था, जिसमें 2017 के मध्यस्थता पुरस्कार और 2021 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से उसकी पुष्टि को चुनौती दी गई थी।
यह विवाद 2012 में एयरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन के परिचालन अनुबंध के रद्द होने से शुरू हुआ था। DAMEPL ने संरचनात्मक दोषों का हवाला देते हुए अनुबंध तोड़ा और मध्यस्थता का सहारा लिया। मध्यस्थता में कंपनी के पक्ष में ₹2,782.33 करोड़ का पुरस्कार पारित हुआ, जिसमें ब्याज जोड़कर 2022 तक यह राशि ₹8,000 करोड़ से अधिक हो गई थी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर और नवंबर 2021 में इस पुरस्कार को बरकरार रखा था, लेकिन अप्रैल 2024 में इसे पलटते हुए कहा कि इससे सार्वजनिक सेवा संस्था पर अत्यधिक आर्थिक बोझ डाला गया, जो “न्याय का गंभीर उल्लंघन” है। अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को बहाल कर दिया, जिसने शुरुआत में ही यह पुरस्कार रद्द कर दिया था।
दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने DAMEPL के निदेशकों और एक्सिस बैंक के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया था, क्योंकि उन्होंने धन वापसी के आदेश का पालन नहीं किया था। एक्सिस बैंक ने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि वह केवल एस्क्रो खाता संचालित कर रहा था और मध्यस्थता अथवा अदालती कार्यवाहियों में छह वर्षों तक उसका कोई सीधा संबंध नहीं था।
हालांकि, अदालत ने यह दलील खारिज कर दी और कहा कि एक्सिस बैंक पहले से पारित आदेशों के अधीन था और अब यह नहीं कह सकता कि उसे कार्यवाही की जानकारी नहीं थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह पक्षकारों के आंतरिक विवादों में नहीं पड़ना चाहती, बल्कि अपने निर्णय के अनुपालन को लेकर गंभीर है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया कि यदि विवाद का समाधान नहीं होता है, तो संबंधित पक्षों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।