एफसीआरए नवीनीकरण पर केंद्र की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने एक ट्रस्ट की विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA) के तहत पंजीकरण नवीनीकरण का निर्देश दिया था।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान केंद्र से कड़े शब्दों में सवाल किया। अदालत ने कहा, “क्या उन्होंने गबन किया है? क्या प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग हुआ है? ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं है। अगर वे सामाजिक सेवा कर रहे हैं तो आपको क्या आपत्ति है?” पीठ ने आगे टिप्पणी की— “मामले को जटिल मत बनाइए। इन्हें और परेशान मत कीजिए।”

यह ट्रस्ट वर्ष 1982 में बच्चों की शिक्षा और कल्याण के उद्देश्य से स्थापित हुआ था और 1983 में इसे एफसीआरए के तहत पंजीकरण मिला था। ट्रस्ट का अंतिम नवीनीकरण नवंबर 2016 में पांच वर्षों के लिए हुआ था। फरवरी 2021 में ट्रस्ट ने पुनः नवीनीकरण के लिए आवेदन किया लेकिन दिसंबर 2021 में केंद्र ने आवेदन खारिज कर दिया।

Video thumbnail

केंद्र ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट ने एफसीआरए की धारा 7 का उल्लंघन किया है, जिसमें विदेशी अंशदान को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करने पर रोक है।

मद्रास हाई कोर्ट ने जून 2025 में दिए आदेश में कहा था कि ट्रस्ट या उसकी सहयोगी संस्था के खिलाफ किसी भी प्रकार की धनराशि के दुरुपयोग या गलत हस्तांतरण का सबूत नहीं है। अदालत ने कहा—
“सिर्फ इसलिए कि कुछ संस्थाएं विदेशी अंशदान से चलती हैं, उन पर शक की निगाह से देखना उचित नहीं, जब तक कि कोई ठोस प्रमाण न हो कि फंड का दुरुपयोग हो रहा है या वह जनहित/राष्ट्रीय हित के खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है।”

हाई कोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को चार सप्ताह में पंजीकरण नवीनीकरण करने का निर्देश दिया था।

READ ALSO  बस टिकट के अचानक रद्द होने पर उपभोक्ता न्यायालय ने मुआवजा दिया

केंद्र ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज कर दी और स्पष्ट किया कि बिना किसी ठोस आरोप के सामाजिक सेवा कर रहे संगठनों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles