भारत के सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक सेवा परीक्षा में ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का फर्जी लाभ उठाने के आरोपों से घिरीं पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेड़कर को निर्देश दिया है कि वह 2 मई 2025 को दिल्ली पुलिस के समक्ष उपस्थित हों।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई (21 मई) तक पूजा खेड़कर के खिलाफ कोई दमनात्मक कार्रवाई, जैसे गिरफ्तारी, नहीं की जाएगी।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने टिप्पणी की, “ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अब तक कोई ठोस जांच नहीं हुई है। ऐसे में हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता 2 मई को सुबह 10:30 बजे दिल्ली के कमला मार्केट पुलिस स्टेशन की दूसरी मंजिल पर स्थित क्राइम ब्रांच, सेंट्रल रेंज के सहायक पुलिस आयुक्त के समक्ष उपस्थित हों।”
अदालत ने दिल्ली पुलिस को अनुमति दी है कि वह 2 मई को और जरूरत पड़ने पर अन्य तिथियों पर भी पूजा खेड़कर से पूछताछ कर सकती है। यह अंतरिम सुरक्षा इस शर्त पर दी गई है कि वह जांच में पूर्ण सहयोग करेंगी।
दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि कथित अनियमितताओं की गहराई तक पहुंचने के लिए पुलिस हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
यह मामला 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने ओबीसी और दिव्यांगता कोटे के तहत आरक्षण लाभ लेने के लिए अपनी पात्रता को लेकर झूठी जानकारी दी। हालांकि खेड़कर ने आरोपों से इनकार किया है, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ एक प्रथम दृष्टया मजबूत मामला बनता है, जिससे परीक्षा प्रणाली में बड़ी साजिश की ओर संकेत मिलता है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब यूपीएससी ने पूजा खेड़कर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया। उन पर अपनी पहचान फर्जी तरीके से प्रस्तुत कर परीक्षा में अतिरिक्त प्रयास हासिल करने का आरोप है। इसी दौरान दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ एक एफआईआर भी दर्ज की, जिसमें कई अपराधों में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया है।