सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस आरोपी पर सख्त टिप्पणी की, जिस पर आरोप है कि उसने दिसंबर 2024 में उत्तर प्रदेश में आयोजित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) में अपनी जगह किसी और को परीक्षा देने के लिए भेजा था। अदालत ने कहा कि ऐसे कृत्य सार्वजनिक परीक्षाओं की पवित्रता और विश्वसनीयता को नष्ट कर देते हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आरोपी संदीप सिंह पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “आप पूरी परीक्षा प्रणाली को बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे लोगों के कारण अनेक अभ्यर्थियों को नुकसान उठाना पड़ता है।”
अदालत ने यहां तक कहा, “मुन्ना भाई अंदर रहना चाहिए,” और 2003 की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस का संदर्भ दिया, जिसमें मुख्य पात्र परीक्षा में नकल करने और किसी और से अपनी जगह पेपर दिलवाने की कोशिश करता है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह धोखाधड़ी 15 दिसंबर 2024 को हुई, जब पटेल की जगह एक तथाकथित “सॉल्वर” परीक्षा देने पहुंचा। बायोमेट्रिक सत्यापन में गड़बड़ी सामने आई और खुलासा हुआ कि असली परीक्षार्थी की जगह नकली प्रवेश पत्र के जरिए कोई और बैठा है।
स्कूल प्राचार्य की शिकायत पर पटेल और अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) तथा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
पटेल के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इस मामले में तीन लोगों पर आरोप पत्र दाखिल किया गया है और उनमें से दो, जिनमें कथित प्रॉक्सी भी शामिल है, पहले ही जमानत पर छूट चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा के दिन पटेल अस्पताल में भर्ती था और उसे झूठा फंसाया गया है।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि परीक्षाओं में प्रॉक्सी भेजना “शिक्षा प्रणाली की ईमानदारी को कमजोर करता है और समाज पर गंभीर प्रभाव डालता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल राहत देने से इनकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और चार हफ्तों बाद मामले की अगली सुनवाई तय की है।