सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने आधिकारिक रूप से कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जॉयमल्य बागची को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए सिफारिश की है। यह फैसला वरिष्ठता, योग्यता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के संतुलन को दर्शाता है।
न्यायमूर्ति बागची, जो वर्तमान में हाईकोर्ट जजों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 11वें स्थान पर हैं, उनसे पहले दस अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश आते हैं। इस सूची में आठ मौजूदा मुख्य न्यायाधीश और दो अन्य न्यायाधीश शामिल हैं, जो विभिन्न हाईकोर्ट्स का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से चार न्यायाधीश कलकत्ता हाईकोर्ट से हैं, जो भारतीय न्यायपालिका में इस अदालत की मजबूत विरासत और प्रभाव को दर्शाता है।
वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बिस्वनाथ सोमद्दार हैं। उनके अलावा, न्यायमूर्ति इंद्र प्रसन्न मुखर्जी, हरीश टंडन और सौमेन सेन जैसे वरिष्ठ न्यायाधीश भी कलकत्ता हाईकोर्ट से जुड़े हैं। न्यायमूर्ति मुखर्जी वर्तमान में मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।

यह नामांकन सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की कम संख्या को भी संतुलित करने का प्रयास है। वर्तमान में, सर्वोच्च न्यायालय में केवल न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ही कलकत्ता हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कॉलेजियम के इस निर्णय से वरिष्ठता और न्यायिक विविधता के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित किया गया है, जिससे भारतीय न्यायपालिका की बहुलतावादी प्रकृति का सही प्रतिबिंब मिल सके।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की राज्यवार नियुक्ति का विश्लेषण करें तो दिल्ली, बॉम्बे और मध्य प्रदेश जैसे बड़े हाईकोर्ट्स के साथ-साथ उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ जैसे अपेक्षाकृत कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों से भी न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित की गई है, जिससे न्यायिक दृष्टिकोण में अखिल भारतीय संतुलन बना रहे।