सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को निर्देश दिया है कि वह हरियाणा में कालेसर वन्यजीव अभयारण्य के पास यमुना नदी पर कथित रूप से बनाए गए बांध की जांच करे, जिसे नदी की धारा मोड़कर अवैध खनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया बताया गया है।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने 29 अप्रैल को पर्यावरणविद् अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इस बांध के कारण नदी की धारा हरियाणा से उत्तर प्रदेश की ओर मोड़ दी गई, जिससे मोड़े गए मार्ग पर बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियां शुरू हो गईं।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “हम मानते हैं कि इस मामले की जांच करना और रिपोर्ट प्रस्तुत करना केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) के लिए उपयुक्त होगा।”

CEC की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के मई 2002 के आदेश के तहत की गई थी और इसका कार्य पर्यावरण संरक्षण से संबंधित न्यायिक निर्देशों के क्रियान्वयन की निगरानी करना है, जिसमें अतिक्रमण हटाना, कार्ययोजना का क्रियान्वयन, प्रतिपूरक वनीकरण और वृक्षारोपण जैसे कार्य शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अपनी याचिका की एक प्रति हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों के कानूनी प्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराए ताकि वे याचिका में लगाए गए आरोपों पर अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें।
मामले की अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की गई है।