सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह पुलिस थानों में कार्यशील CCTV कैमरों की अनुपस्थिति से जुड़ी स्वतः संज्ञान (suo motu) कार्यवाही में 26 सितंबर को आदेश पारित करेगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि यह मामला “निगरानी और जवाबदेही” से जुड़ा है। पीठ ने कहा, “मुद्दा निगरानी का है।”
शीर्ष अदालत ने 4 सितंबर को एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें बताया गया था कि पिछले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 मौतें हुईं, जिनमें से सात केवल उदयपुर संभाग में दर्ज की गईं।

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में ही निर्देश दिया था कि मानवाधिकार उल्लंघनों की रोकथाम के लिए सभी पुलिस थानों में CCTV कैमरे लगाए जाएं। दिसंबर 2020 में अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के कार्यालयों में भी CCTV कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए जाएं।
इसके अलावा, अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि प्रत्येक पुलिस थाने में प्रवेश और निकास बिंदुओं, मुख्य द्वार, लॉक-अप, गलियारों, लॉबी, रिसेप्शन तथा लॉक-अप कमरों के बाहर तक हर हिस्से में CCTV कैमरे लगाए जाएं ताकि कोई भी क्षेत्र निगरानी से बाहर न रह जाए।