सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश: रजिस्ट्री अब ‘ब्लैक-एंड-व्हाइट’ तस्वीरों वाली फाइलों को नहीं करेगी लिस्ट; रंगीन फोटो और नक्शा हुआ अनिवार्य

अदालती कार्यवाही में प्रस्तुत किए जाने वाले साक्ष्यों की स्पष्टता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को कड़े निर्देश जारी किए हैं। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि जिन याचिकाओं या पेपर-बुक्स (paper-books) में ब्लैक-एंड-व्हाइट तस्वीरें लगी होंगी, उन्हें सुनवाई के लिए सूचीबद्ध (List) नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह अनिवार्य कर दिया है कि रिकॉर्ड पर केवल रंगीन तस्वीरें ही ली जाएं, और उनके साथ स्पष्ट माप (dimensions) व नक्शा भी होना चाहिए।

कोर्ट का आदेश

यह निर्देश न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी और न्यायमूर्ति जोयमाल्य बागची की पीठ ने ‘दीनामती गोम्स और अन्य बनाम गोवा राज्य और अन्य’ मामले की सुनवाई के दौरान पारित किया। यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ द्वारा 15 मार्च 2024 को रिट याचिका संख्या 820/2023 में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) से जुड़ा है।

सुनवाई के दौरान पीठ ने न्यायिक रिकॉर्ड में स्पष्ट दृश्य सामग्री (visual material) की आवश्यकता पर जोर दिया और रजिस्ट्री को निर्देश दिया:

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“रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह किसी भी ऐसी पेपर-बुक को लिस्टिंग के लिए क्लियर न करे, जिसमें संलग्न तस्वीरें ब्लैक-एंड-व्हाइट हों।”

तस्वीरें दाखिल करने के लिए नए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड (AORs) के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने के मानकों को सख्त कर दिया है। पीठ ने निर्देश दिया है कि सभी AORs को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:

  1. रंगीन तस्वीरें (Coloured Photographs): पेपर-बुक के साथ लगाई गई सभी तस्वीरें अनिवार्य रूप से रंगीन होनी चाहिए।
  2. दूरी के आयाम (Distance Dimensions): तस्वीरों में स्थान और वस्तु की स्थिति को समझने के लिए दूरी के आयाम (dimensions) स्पष्ट रूप से अंकित होने चाहिए।
  3. वैचारिक योजना (Conceptual Plan): तस्वीरों का समर्थन करने के लिए एक ‘कांसेप्चुअल प्लान’ या नक्शा भी संलग्न होना चाहिए।
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कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि इन मानकों का पालन नहीं किया जाता है, तो ऐसी सामग्री को रिकॉर्ड पर लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी और मामला तब तक ‘डिफेक्ट्स नॉट क्यूर्ड’ (defects not cured) की सूची में रहेगा, जब तक कि त्रुटियों को सुधार नहीं लिया जाता।

ई-फाइलिंग (E-Filing) के लिए हार्ड कॉपी जरूरी

डिजिटल माध्यम से याचिका दायर करने की प्रक्रिया पर स्पष्टीकरण देते हुए, पीठ ने कहा कि केवल ई-मेल या ई-फाइलिंग के जरिए रंगीन फोटो भेजना पर्याप्त नहीं होगा। आदेश में कहा गया:

“यदि पेपर-बुक के साथ तस्वीरें ई-मेल या ई-फाइलिंग के माध्यम से दाखिल की जाती हैं, तो विद्वान AORs को निर्देश दिया जाता है कि वे साथ ही रंगीन तस्वीरों की हार्ड कॉपी भी जमा करें।”

अगली सुनवाई

अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 9 जनवरी 2026 तय की है।

वकील और प्रतिनिधित्व

  • याचिकाकर्ताओं की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम, अधिवक्ता एम. डिसूजा, एस.एस. रेबेलो, परिजात किशोर (AOR), राघव शर्मा, मनीषा गुप्ता, मौलीश्री पाठक, उज्जवल अग्रवाल और जसकीरत पाल सिंह।
  • प्रतिवादियों की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता, अधिवक्ता निनाद लाउड, कीथ वर्गीज, गुरुप्रसाद नाइक, डिकोस्टा इवो मैनुअल साइमन (AOR), अभय अनिल अंतुरकर, ध्रुव टैंक, सुरभि कपूर (AOR), सार्थक मेहरोत्रा, भगवंत देशपांडे, सुभी पास्टर और अभय सिंह (AOR)।
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केस डिटेल्स (Case Details):

  • केस का नाम: दीनामती गोम्स और अन्य बनाम गोवा राज्य और अन्य
  • केस नंबर: Petition(s) for Special Leave to Appeal (C) No(s). 7944/2024
  • कोरम: न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी और न्यायमूर्ति जोयमाल्य बागची
  • आदेश की तारीख: 21 नवंबर 2025

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