सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अजय कुमार नैय्यर को जमानत दे दी, जो पिछले चार साल से अधिक समय से जेल में बंद थे। नैय्यर पर आरोप है कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भतीजे के रूप में अपनी पहचान बताकर एक व्यापारी से 3.9 करोड़ रुपये की ठगी की।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिष्णोई की पीठ ने कहा कि आरोपित चार साल से अधिक समय से हिरासत में है, जबकि भारतीय दंड संहिता की जिन धाराओं (419, 420, 120बी और 34) के तहत मामला दर्ज है, उनमें अधिकतम सजा सात साल है।
पीठ ने यह भी नोट किया कि ट्रायल की गति बेहद धीमी है और ऐसे में निरंतर हिरासत का कोई औचित्य नहीं रह जाता। कोर्ट ने बताया कि वर्ष 2022 में आरोप तय किए गए थे, लेकिन तीन साल बाद भी पहले गवाह का प्रतिपरीक्षण जारी है। मामले में कुल 34 गवाह हैं।
पीठ ने कहा, “हमारी दृष्टि में ट्रायल के समाप्त होने में अभी काफी समय लगेगा।”
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने जमानत का विरोध किया और आरोपों की गंभीरता का हवाला दिया।
इससे पहले, 1 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने नैय्यर को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोपों के स्वरूप और दायरे को देखते हुए तथा आरोपों में संशोधन कर आईपीसी की धाराएं 467 और 471 जैसे गंभीर अपराध जोड़ने पर विचार लंबित होने के कारण यह जमानत का उपयुक्त मामला नहीं है। अदालत ने नैय्यर के आपराधिक इतिहास का भी उल्लेख किया था।
अभियोजन के अनुसार, जालंधर जिमखाना क्लब में एक पारिवारिक परिचित ने नैय्यर की मुलाकात शिकायतकर्ता से कराई थी। नैय्यर ने स्वयं को “अजय शाह”, यानी अमित शाह के भतीजे के रूप में पेश किया और दावा किया कि वह राष्ट्रपति भवन के नवीनीकरण के लिए चमड़े की आपूर्ति का 90 करोड़ रुपये का सरकारी टेंडर दिला सकता है।
कथित रूप से, नैय्यर ने व्यापारी को 90 करोड़ रुपये का एक डिमांड ड्राफ्ट भी दिखाया और 2.5 करोड़ रुपये को प्रोसेसिंग फीस बताया। कई बैठकों के बाद शिकायतकर्ता ने अलग-अलग मौकों पर नकद व आरटीजीएस के माध्यम से कुल 3.9 करोड़ रुपये दे दिए।
बाद में, नैय्यर ने 127 करोड़ रुपये का एक और डिमांड ड्राफ्ट दिखाया और कहा कि टेंडर की कीमत बढ़ गई है। जब व्यापारी को ठगी का शक हुआ, तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दिसंबर 2021 में नैय्यर को गिरफ्तार किया गया।
नैय्यर ने दलील दी कि 2022 में आरोप तय होने के बावजूद मुकदमे में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई और ट्रायल के शीघ्र समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार किया और कहा कि आरोपित पहले ही ऐसी अवधि जेल में बिता चुका है, जो अधिकतम सजा के करीब है।
अदालत के इस आदेश के बाद ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई आगे जारी रहेगी।

