अरुणाचल सीएम पेमा खांडू पर परिजनों को ठेके देने का आरोप: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन हफ्तों में जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कथित तौर पर सरकारी ठेके अपने परिजनों को दिए।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ एनजीओ सेव मॉन रिजन फेडरेशन और वॉलंटरी अरुणाचल सेना की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री राज्य को “अपने प्राइवेट लिमिटेड कंपनी” की तरह चला रहे हैं और अधिकांश सरकारी ठेके उनके करीबी परिजनों को ही दिए जा रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि लगभग सभी सरकारी ठेके मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में भी अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने 18 मार्च के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी तक अपना हलफनामा दाखिल नहीं किया।

READ ALSO  कर्नाटक हाई कोर्ट ने डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों की कमी को गंभीरता से लिया, स्वयं जनहित याचिका शुरू की

याचिका में पेमा खांडू, उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री डोर्जे खांडू की दूसरी पत्नी रिंछिन ड्रेमा और भतीजे त्सेरिंग ताशी को भी पक्षकार बनाया गया है। आरोप है कि रिंछिन ड्रेमा की कंपनी ब्रांड ईगल्स को भारी संख्या में सरकारी ठेके दिए गए, जो स्पष्ट हितों के टकराव का मामला है।

अरुणाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने आरोपों का खंडन किया और याचिका को “प्रायोजित मुकदमा” बताया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता 2010 और 2011 के पुराने ठेकों को आधार बना रहे हैं। राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशानुसार पहले ही अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है।

READ ALSO  पिता द्वारा अपनी बेटी के साथ बलात्कार/छेड़छाड़ के आरोप से बड़ा जघन्य अपराध कभी नहीं हो सकता: गुजरात हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की ख़ारिज

केंद्र की ओर से वकील ने स्वीकार किया कि हलफनामा दाखिल किया जाना था, लेकिन दलील दी कि वित्त मंत्रालय इस मामले में पक्षकार नहीं है और उसे अलग से शामिल करना होगा। इस पर पीठ ने कहा, “इस अदालत का स्पष्ट आदेश है कि केंद्र सरकार यानी गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को भी विस्तृत हलफनामा दाखिल करना होगा। यह बहस करने की ज़रूरत नहीं है कि पक्षकार बनाया जाए या नहीं।”

READ ALSO  मात्र मांस रखना अपराध नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोवध संरक्षण अधिनियम के आरोपी को जमानत दी

पीठ ने कहा कि चूंकि राज्य और सीएजी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है, इसलिए केंद्र को भी अब तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करना होगा और उसे और समय नहीं दिया जाएगा। अदालत ने याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति भी दी।

यह मामला सरकारी ठेकों में पारदर्शिता और हितों के टकराव जैसे गंभीर सवाल उठाता है। अब अगली सुनवाई तीन हफ्तों बाद होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles