सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केरल के पलक्कड़ में वर्ष 2022 में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 17 आरोपियों को मिली जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि केरल हाईकोर्ट का यह आदेश एक वर्ष से अधिक पुराना है और यदि जमानत की शर्तों का उल्लंघन हुआ है, तो विशेष अदालत के समक्ष याचिका दाखिल की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्वयं यह स्वतंत्रता दी है कि याचिकाकर्ता विशेष अदालत में जमानत रद्द करने का आवेदन दे सकते हैं।
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकर ने दलील दी कि आरोपी गवाहों से संपर्क कर रहे हैं, जो कि जमानत की शर्तों का उल्लंघन है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि एजेंसी इस विषय में विशेष अदालत के समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत कर सकती है और वहीं उपयुक्त मंच है।

उल्लेखनीय है कि केरल हाईकोर्ट ने 25 जून 2024 को आरोपियों को सख्त शर्तों के साथ जमानत दी थी। शर्तों में शामिल था कि आरोपी अपने मोबाइल नंबर और जीपीएस लोकेशन पुलिस के साथ साझा करेंगे, राज्य से बाहर नहीं जाएंगे और उनके संचार उपकरण हर समय चालू रहेंगे।
16 अप्रैल 2022 को श्रीनिवासन की हत्या के बाद इस मामले में 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 2022 में दो चरणों में आरोपपत्र दाखिल किए गए थे। जांच में यह बात सामने आई थी कि हत्या का मकसद सांप्रदायिक तनाव भड़काना और कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देना था। इसी के आधार पर केंद्र सरकार ने मामला एनआईए को सौंपा था।
दिसंबर 2022 में केंद्र ने अपनी अधिसूचना में इस मामले को “बड़ी साजिश” का हिस्सा बताया था, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डाल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया की संवेदनशीलता को रेखांकित करता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि भविष्य में यदि उचित आधार हो तो निचली अदालतों में जमानत रद्द करने के लिए आवेदन किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस याचिका को खारिज करने का अर्थ यह नहीं है कि भविष्य में ऐसे किसी आवेदन पर पूर्वाग्रह के साथ विचार किया जाए।