रोहिंग्या शरणार्थियों को कथित रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर किया गया देश से निष्कासन: सुप्रीम कोर्ट में याचिका, तत्काल राहत की मांग

भारत सरकार पर यह आरोप लगाते हुए एक रिट याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों—जिनमें नाबालिग, बुज़ुर्ग और कैंसर पीड़ित शामिल हैं—को इस माह की शुरुआत में एक गुप्त अभियान के तहत जबरन म्यांमार के पास अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में छोड़ दिया गया।

यह जनहित याचिका (PIL) दिल्ली में रह रहे दो रोहिंग्या शरणार्थियों द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भारतीय अधिकारियों ने झूठे बहानों से लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें बिना किसी विधिक प्रक्रिया के निर्वासित कर दिया। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस समूह में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के कार्ड धारक भी शामिल थे, जिन्हें 7 मई की रात दिल्ली पुलिस द्वारा बायोमेट्रिक डाटा संग्रह के बहाने हिरासत में लिया गया।

गुप्त निर्वासन के आरोप

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, हिरासत में लिए गए लोगों को पुलिस वैनों में ले जाकर अलग-अलग थानों में 24 घंटे रखा गया, इसके बाद उन्हें दिल्ली के इंदरलोक डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया। वहां से उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर हवाईअड्डे ले जाया गया। आरोप है कि वहां उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर, हाथ बांधकर नौसेना के जहाजों पर बैठाया गया और फिर म्यांमार के पास समुद्र में छोड़ दिया गया।

Video thumbnail

याचिका में कहा गया है, “परिवारों के लिए अत्यंत आघातजनक था कि बायोमेट्रिक प्रक्रिया के बाद इन लोगों को रिहा नहीं किया गया, बल्कि उन्हें हवाईअड्डों पर ले जाकर पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया… इनमें 15 वर्ष तक के बच्चे, 16 वर्ष की नाबालिग लड़कियां, 66 वर्ष तक के बुजुर्ग और कैंसर व अन्य गंभीर रोगों से पीड़ित लोग शामिल थे, जिन्हें समुद्र में बिना किसी सुरक्षा के छोड़ दिया गया।”

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि निर्वासन से पहले अधिकारियों ने बंदियों से पूछा था कि वे म्यांमार जाना चाहेंगे या इंडोनेशिया। अपनी जान की रक्षा के लिए उन्होंने इंडोनेशिया जाने की गुहार लगाई, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें धोखे से यह विश्वास दिलाकर समुद्र में छोड़ दिया कि कोई उन्हें सुरक्षित स्थान तक पहुंचाएगा। शरणार्थियों ने जीवन रक्षक जैकेट पहनकर तैरते हुए किनारे तक पहुंचे, जहां उन्हें पता चला कि वे म्यांमार की सीमा में आ गए हैं।

अदालत की कार्यवाही और सरकार का पक्ष

यह मामला 8 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष उठाया गया, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह शामिल थे। हालांकि आरोप गंभीर थे, फिर भी कोर्ट ने मामले की सुनवाई 31 जुलाई के लिए सूचीबद्ध की और कोई अंतरिम राहत नहीं दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 8 अप्रैल 2021 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि विदेशी नागरिकों को “कानून के अनुसार” निष्कासित किया जा सकता है।

READ ALSO  "I Am Going to Miss My Hindustan": Justice Sudhanshu Dhulia Bids Emotional Farewell to Supreme Court

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह हालिया निष्कासन संविधान और न्यायिक सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन है, विशेष रूप से “नॉन-रिफाउलमेंट” सिद्धांत का, जो ऐसे शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने से रोकता है जिन्हें वहां उत्पीड़न का खतरा हो। याचिका में कहा गया है कि यह सिद्धांत कई भारतीय न्यायिक निर्णयों में मान्यता प्राप्त है, भले ही भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।

याचिका में की गई मुख्य मांगें

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित निर्देश देने की मांग की है:

  • जबरन और गुप्त तरीके से किए गए निष्कासन को असंवैधानिक घोषित किया जाए;
  • भारत सरकार को निर्देशित किया जाए कि वह निर्वासित किए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तत्काल नई दिल्ली वापस लाए;
  • UNHCR कार्डधारकों की भविष्य में गिरफ्तारी और हिरासत पर रोक लगाई जाए;
  • प्रत्येक निर्वासित व्यक्ति को ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए;
  • घरेलू शरणार्थी नीति के तहत UNHCR कार्डधारकों को रिहायशी परमिट जारी करने की प्रक्रिया बहाल की जाए।
READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युपूर्व बयान के महत्व पर निर्णय लेने के लिए 11 कारक तय किए हैं

याचिका में निर्वासित व्यक्तियों की पहचान, उनके UNHCR कार्ड नंबर, और इस प्रक्रिया के दौरान बच्चों को माताओं से अलग करने जैसे घटनाक्रमों का भी विस्तृत विवरण दिया गया है।

READ ALSO  हिरासत में मौत: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles