उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश–भानियावाला फोरलेन सड़क परियोजना के लिए लगभग 4,400 पेड़ों की कटाई के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और National Highways Authority of India (NHAI) को आपसी बैठक कर समाधान सुझाने और उसे अदालत के समक्ष रखने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश सुनवाई के दौरान पारित किया। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि हाईकोर्ट के पूर्व निर्देशों के बावजूद न तो कटे हुए पेड़ों का प्रतिरोपण किया गया है और न ही वन्यजीवों के लिए अंडरपास निर्धारित मानकों के अनुसार बनाए जा रहे हैं।
पीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राज्य और केंद्र सरकार तथा NHAI को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर बैठक कर समाधान निकालें और अपनी सुझावात्मक रिपोर्ट अदालत में पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 30 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
यह जनहित याचिका देहरादून निवासी रीनू पाल द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश से भानियावाला सड़क चौड़ीकरण के लिए 3,000 से अधिक पेड़ों की पहचान की गई है, जबकि यह क्षेत्र हाथियों के गलियारे में आता है।
याचिकाकर्ता ने आशंका जताई कि बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से हाथियों और अन्य वन्यजीवों की आवाजाही और प्राकृतिक दिनचर्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पहले हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से Shivalik Elephant Reserve को संरक्षण मिला था और मौजूदा परियोजना में भी इसी तरह के पर्यावरणीय संरक्षण उपाय जरूरी हैं।

