आरजी कर डॉक्टर हत्या मामले में अपराध स्थल पर जाने की अनुमति पर फैसला ट्रायल कोर्ट लेगा: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को निर्देश दिया कि अगस्त 2024 में दुष्कर्म और हत्या की शिकार आरजी कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के माता-पिता द्वारा अपराध स्थल का निरीक्षण करने की अनुमति हेतु दायर याचिका पर फैसला ट्रायल कोर्ट द्वारा लिया जाएगा।

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चूंकि इस मामले की कार्यवाही वर्तमान में सीलदह के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) के समक्ष लंबित है, इसलिए वही इस अनुरोध पर निर्णय लेने की उचित स्थिति में हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि एसीजेएम को सूचित किए बिना हाईकोर्ट इस विषय पर कोई आदेश पारित नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को एसीजेएम कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से आवेदन देने की छूट दी।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूंछा: आप और आपका परिवार खा सकेंगे ये खाना?

पीड़िता के माता-पिता की ओर से अधिवक्ता फिरोज एडुल्जी ने प्रस्तुत किया कि वे अस्पताल परिसर में स्थित अपराध स्थल का निरीक्षण करना चाहते हैं, सिवाय उस सेमिनार कक्ष के, जहां 9 अगस्त 2024 को उनकी बेटी का शव मिला था। उन्होंने स्पष्टता और मानसिक संतोष के लिए व्यापक स्थल का मुआयना जरूरी बताया।

Video thumbnail

उल्लेखनीय है कि ड्यूटी के दौरान डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद देशभर में भारी जनाक्रोश और विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके चलते हाईकोर्ट ने मामले की जांच को कोलकाता पुलिस से हटाकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया था।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल ग्रामीण चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की तैनाती पर NHRC की याचिका खारिज कर दी

सीबीआई की ओर से उपस्थित उप सॉलिसिटर जनरल राजदीप मजूमदार ने अदालत को अवगत कराया कि चूंकि अब अस्पताल परिसर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा में है, इसलिए ऐसे किसी भी निरीक्षण के लिए न्यायिक अनुमति आवश्यक है।

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता अप्रत्यक्ष रूप से पुनः जांच या ताजा जांच की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें पहले की जांच और निष्कर्षों को निरस्त करने के लिए विधिवत प्रार्थना करनी चाहिए।

READ ALSO  भ्रष्टाचार के मामले में ओडिशा सरकार के क्लर्क को 3 साल की कैद

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि एसीजेएम के समक्ष कोई आवेदन किया जाता है तो उस पर 48 घंटे के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि इस जघन्य अपराध में शामिल पूर्व सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को पहले ही सीलदह सेशंस कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles