एक चौंकाने वाले साइबर अपराध मामले में, पूर्व बॉम्बे हाईकोर्ट के जज एक ₹2 करोड़ की ‘डिजिटल अरेस्ट’ उगाही की कोशिश का शिकार होने से बाल-बाल बच गए। फर्जी पुलिस वीडियो कॉल के जरिए उन्हें फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उनकी सतर्कता से न केवल ठगी टली, बल्कि पुलिस को समय पर सूचना भी मिल गई।
पूर्व जज, जो अब वरिष्ठ वकील हैं, ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि यह घटना बुधवार सुबह करीब 11 बजे हुई। उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति का वीडियो कॉल आया, जो पुलिस की वर्दी में था और किसी पुलिस स्टेशन के भीतर बैठा प्रतीत हो रहा था। कॉलर ने दावा किया कि उनके खिलाफ मुंबई के बोरिवली पुलिस स्टेशन में दर्ज एक उगाही मामले में संलिप्तता है।
ठगों ने आरोप लगाया कि जज के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर खरीदी गई सिम से अवैध लेनदेन हुए हैं, जिसमें 2023 में उनके नाम पर खोला गया एक केनरा बैंक खाता भी शामिल है। इतना ही नहीं, उन्होंने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल से कथित संबंध जोड़कर उन्हें फंसाने की कोशिश की।

जब जज ने किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया, तो कॉल एक महिला के पास ट्रांसफर कर दी गई, जो खुद को वरिष्ठ अधिकारी बता रही थी। उसने जज को धमकी दी कि यदि वह दोपहर 2:30 बजे तक ₹2 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रांसफर नहीं करते, तो उन्हें बिना जमानत जेल भेज दिया जाएगा।
हालांकि, जज ने घबराने के बजाय नागपुर पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज करवाई और बॉम्बे हाईकोर्ट के प्रोटोकॉल अधिकारी को भी सूचित किया।
प्राथमिक जांच में इस साइबर ठगी के तार राजस्थान-गुजरात बॉर्डर से जुड़े पाए गए हैं। नागपुर साइबर पुलिस ने मामले में विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
“कोई आम आदमी होता तो शायद इसमें फंस जाता,” पूर्व जज ने कहा, और इस तरह की साइबर ठगी के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।