न्यायमूर्ति अमित बंसल की अध्यक्षता में दिल्ली हाईकोर्ट ने CS(COMM) 1147/2024 में एक महत्वपूर्ण अंतरिम निर्णय दिया, जिसमें व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा उत्पन्न सामग्री के दुरुपयोग को संबोधित किया गया। यह मामला वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपनी मीडिया कंपनी, इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विस प्राइवेट लिमिटेड (इंडिया टीवी के रूप में संचालित) के साथ मिलकर कई ज्ञात और अज्ञात प्रतिवादियों के खिलाफ दायर किया था, जिन पर डीपफेक वीडियो और डॉक्टर्ड कंटेंट बनाने और प्रसारित करने का आरोप है।
श्री साईकृष्ण राजगोपाल के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा प्रतिनिधित्व करते हुए, वादी ने असत्यापित चिकित्सा उत्पादों के लिए प्रचार सामग्री में श्री शर्मा के नाम, समानता और आवाज का दुरुपयोग करने के लिए प्रतिवादियों के खिलाफ तत्काल राहत मांगी। इनमें मधुमेह, जोड़ों के दर्द और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के लिए कथित उपचार शामिल थे, जिन्हें शर्मा के समर्थन के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराया गया था। वादीगण ने इंडिया टीवी के पंजीकृत ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के उल्लंघन का भी आरोप लगाया, जिसमें आप की अदालत और आज की बात: रजत शर्मा के साथ जैसे प्रमुख कार्यक्रम शामिल थे।
प्रतिवादियों पर डीपफेक और एआई तकनीकों का उपयोग करके इन भ्रामक सामग्रियों को बनाने, शर्मा की पेशेवर प्रतिष्ठा को धूमिल करने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया गया था। वादीगण ने तर्क दिया कि इस तरह की कार्रवाइयों ने न केवल व्यक्तित्व और बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन किया, बल्कि धोखाधड़ी वाले स्वास्थ्य उत्पादों को बढ़ावा देकर सार्वजनिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण जोखिम भी पैदा किए।
न्यायालय की मुख्य टिप्पणियाँ
न्यायालय ने रजत शर्मा की अद्वितीय स्थिति को स्वीकार किया, इस बात पर जोर देते हुए कि एक पत्रकार के रूप में उनकी विश्वसनीय प्रतिष्ठा के कारण उनके व्यक्तित्व का दुरुपयोग करने से जोखिम बढ़ गया है। न्यायमूर्ति बंसल ने कहा:
– “कोई भी गलत समर्थन जो यह दावा करता है कि वादी नंबर 1 मधुमेह और जोड़ों के दर्द जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए धोखाधड़ी वाले उपचारों का समर्थन करता है, व्यक्तित्व अधिकारों का गंभीर दुरुपयोग है।”
– “धोखाधड़ीपूर्ण स्वास्थ्य दावों के लिए वादी नंबर 1 के व्यक्तित्व का दुरुपयोग नुकसान की प्रवृत्ति को बढ़ाता है, संभावित रूप से उन अनगिनत व्यक्तियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरे में डालता है जो कथित समर्थन पर भरोसा करते हैं।”
कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि इस तरह की कार्रवाइयां शर्मा की पेशेवर ईमानदारी और सार्वजनिक विश्वास की नींव पर प्रहार करती हैं।
कोर्ट के आदेश
कोर्ट ने व्यक्तित्व अधिकारों और बौद्धिक संपदा के दुरुपयोग को रोकने के लिए व्यापक अंतरिम निर्देश जारी किए:
1. सामग्री को तत्काल हटाना: मेटा प्लेटफॉर्म इंक. (फेसबुक) सहित प्रतिवादियों को एआई-जनरेटेड डीपफेक सामग्री को हटाने और अपराधियों की पहचान संबंधी विवरण प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
2. दुरुपयोग के खिलाफ निषेधाज्ञा: प्रतिवादियों और उनके सहयोगियों को शर्मा के व्यक्तित्व का शोषण करने या किसी भी व्यावसायिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए इंडिया टीवी के ट्रेडमार्क और कॉपीराइट सामग्री का उपयोग करने से रोका गया।
3. भविष्य की निगरानी: कोर्ट ने वादी को मामले के दौरान खोजी गई अतिरिक्त उल्लंघनकारी सामग्री की रिपोर्ट करने और उसे हटाने की मांग करने की अनुमति दी।
4. सरकारी कार्रवाई: दूरसंचार विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को अनुपालन सुनिश्चित करने तथा उल्लंघनकारी सामग्री के आगे प्रसार को रोकने का निर्देश दिया गया।