राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता कर्मचारी को डाटा ऑपरेटर के पद पर नियमित वेतनमान और जीपीएफ का भुगतान नहीं करने को गंभीरता से लिया है। अदालत ने कहा है कि 11 मई तक आदेश की पालना की जाए। ऐसा नहीं करने पर अदालत ने राजस्थान आवासन मंडल के सचिव को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि आदेश की पालना हो जाती है तो सचिव को हाजिर होने की आवश्यकता नहीं है।
जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश सुनील चतुर्वेदी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह बडे आश्चर्य की बात है कि तीन साल और पांच माह बीतने के बाद भी अब तक आदेश की पालना नहीं की गई है, जबकि इस दौरान विभाग को पालना के लिए कई बार मौके दिए गए हैं।
सुनवाई के दौरान विभाग की ओर से अदालती आदेश की पालना के लिए एक सप्ताह का समय मांगा गया। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कई बार मौके देने के बाद भी अब तक अदालती आदेश की पालना नहीं हुई है। इस पर अदालत ने 11 मई तक पालना नहीं होने पर आवासन मंडल के सचिव को हाजिर होने के आदेश दिए हैं।
अवमानना याचिका में अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि अदालत ने 14 दिसंबर, 2019 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को डाटा ऑपरेटर पद का नियमित वेतनमान और जीपीएफ का भुगतान करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आदेश की पालना नहीं की गई। ऐसे में दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जाए।