राजस्थान हाईकोर्ट ने स्थायी लोक अदालतों के बंद होने पर स्वतः संज्ञान लिया, राज्य अधिकारियों से 15 मई तक मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के एक हालिया आदेश के कारण 16 स्थायी लोक अदालतों के बंद होने की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति संदीप शाह की खंडपीठ ने ‘न्याय तक पहुंच’ के अधिकार से संबंधित इस गंभीर विषय पर स्वतः कार्यवाही शुरू की और राज्य के प्रमुख अधिकारियों से 15 मई 2025 तक जवाब मांगा है।

पृष्ठभूमि

यह मामला 13 मई 2025 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर उठा, जिसमें बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा 9 अप्रैल 2025 को जारी आदेश के चलते प्रदेश की 16 स्थायी लोक अदालतों का संचालन प्रभावी रूप से रोक दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जोधपुर में ही लगभग 972 मामले लंबित हैं, और राज्य भर में यह संख्या 10,000 तक हो सकती है। ये सभी मामले उन्हीं लोक अदालतों में निपटाए जाने थे जो अब बंद हैं।

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संवैधानिक और विधिक संदर्भ

कोर्ट ने Brij Mohan Lal बनाम भारत संघ व अन्य, (2012) 6 SCC 502 के निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि “नीति निर्माण और उसके क्रियान्वयन के मामले सामान्यतः कार्यपालिका के क्षेत्राधिकार में आते हैं, लेकिन यदि नीति निर्णय मनमाने, दुर्भावनापूर्ण या अनुचित हों, तो न्यायालय हस्तक्षेप कर सकते हैं।” खंडपीठ ने उक्त निर्णय के अनुच्छेद 96 को उद्धृत करते हुए न्यायालय के दायित्व की पुनः पुष्टि की।

पक्षकारों की प्रत्याविष्टि

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने निम्नलिखित अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया—

  • मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार
  • अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त सचिव), वित्त विभाग
  • सचिव, कार्मिक विभाग
  • प्रमुख सचिव, विधि एवं विधिक कार्य विभाग
  • सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण

इन अधिकारियों की ओर से निम्नलिखित अधिवक्ताओं ने पेशी दर्ज कराई—

  • श्री महावीर बिश्नोई, अतिरिक्त महाधिवक्ता – मुख्य सचिव एवं वित्त सचिव के लिए
  • श्री आयुष गहलोत – विधि विभाग एवं कार्मिक विभाग के लिए
  • श्री दीपक चंदक – राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के लिए

कोर्ट के निर्देश

खंडपीठ ने अधिवक्ताओं को निर्देश दिया कि वे संबंधित अधिकारियों तक न्यायालय का आदेश तुरंत पहुंचाएं और यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रतिवादी 15 मई 2025 तक अपना जवाब दाखिल करें। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मनीष सिसोदिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है ताकि वे न्यायालय की सहायता कर सकें। न्यायालय ने आदेश की प्रति और संबंधित समाचार रिपोर्ट उन्हें प्रदान करने का निर्देश भी दिया है।

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