राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य विद्युत संयुक्त उपक्रम पर जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता पर ₹1.5 लाख का जुर्माना लगाया

राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) के बीच हुए संयुक्त उपक्रम के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता अजय चतुर्वेदी पर ₹1.5 लाख का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने इसे न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की संज्ञा दी।

चतुर्वेदी, जो कि एक सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता हैं, ने 4 नवंबर 2024 को हुए इस संयुक्त उपक्रम को चुनौती दी थी। उनका दावा था कि इस सहयोग से बिजली की दरों में वृद्धि होगी, जिससे जनहित प्रभावित होगा।

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मुख्य न्यायाधीश मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आनंद शर्मा की पीठ ने याचिका को “भ्रामक” और “प्रेरित” बताया तथा इसे “कुत्सित मंशा से प्रेरित” करार दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि यह संयुक्त उपक्रम केवल सरकारी उपक्रमों के बीच है और इसका उद्देश्य बिजली उत्पादन की दक्षता एवं लागत प्रभावशीलता को बढ़ाना है। इसमें छबड़ा तापीय ऊर्जा संयंत्र में नई सुपर क्रिटिकल इकाइयाँ स्थापित करने और पुरानी इकाइयों के आधुनिकीकरण की योजना भी शामिल है।

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हाईकोर्ट ने चतुर्वेदी के दावों को केवल कल्पना पर आधारित बताते हुए उनकी आशंकाओं को साक्ष्यविहीन करार दिया। निर्णय में कहा गया, “याचिकाकर्ता द्वारा दायर यह जनहित याचिका न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करती है, जबकि वर्तमान समय में उत्पादन और आपूर्ति दरों का कोई ठोस आकलन प्रस्तुत नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने केवल अपनी कल्पना के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि इस प्रकार की व्यवस्था से भविष्य में लागत बढ़ सकती है।”

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न्यायालय ने इसे समय और संसाधनों की अनावश्यक बर्बादी मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया और ₹1.5 लाख का जुर्माना लगाया।

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