राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) को निर्देश दिया है कि वह एक विशेषज्ञ समिति गठित करे, जो यह जांचे कि सड़क हादसे में पूरी तरह दृष्टिहीन हो चुकी एमबीबीएस छात्रा को उसकी पढ़ाई जारी रखने और पूरी करने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं।
न्यायमूर्ति अनुप कुमार धंध ने 12 अगस्त को यह आदेश एमबीबीएस छात्रा अंकिता सिंगोदिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अप्रैल 2017 में हुए एक गंभीर सड़क हादसे में सिर में चोट लगने के कारण अंकिता की 100 प्रतिशत दृष्टि चली गई थी। अगस्त 2014 में एमबीबीएस में दाखिला लेने के बाद उन्होंने 2017 तक प्रथम और द्वितीय वर्ष की पढ़ाई पूरी कर ली थी।
दृष्टि जाने के बाद उन्हें पढ़ाई जारी रखने से रोक दिया गया, यह कहते हुए कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम में सर्जरी और अन्य नैदानिक प्रक्रियाओं का प्रायोगिक प्रशिक्षण आवश्यक है। इस निर्णय को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

अदालत ने आरयूएचएस को निर्देश दिया कि वह समिति बनाकर ऐसे संभावित तरीकों और व्यवस्थाओं पर विचार करे, जिनसे छात्रा शेष एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा कर सके।
उनके अधिवक्ता साहिलेश प्रकाश शर्मा ने बताया कि जून 2020 में एक मेडिकल बोर्ड ने छात्रा को पढ़ाई जारी रखने की सिफारिश की थी, लेकिन बाद में गठित एक अन्य बोर्ड ने यह कहते हुए असहमति जताई कि वह डॉक्टर के कर्तव्यों का प्रभावी निर्वहन नहीं कर पाएंगी।