राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को स्वास्थ्य कारणों के आधार पर छह माह की अंतरिम जमानत प्रदान की है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संगीता शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश आसाराम की सज़ा स्थगन और नियमित जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने दलील दी कि 84 वर्षीय कैदी लंबे समय से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं और जेल में उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसलिए इलाज के लिए उन्हें बिना हिरासत के जमानत दी जानी चाहिए।
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी और पीड़िता की ओर से अधिवक्ता पी.सी. सोलंकी ने इस याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आसाराम को पहले भी कई बार स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत दी जा चुकी है और जेल में पर्याप्त उपचार की व्यवस्था मौजूद है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने आसाराम को छह माह की जमानत मंजूर की। आदेश की विस्तृत शर्तें लिखित निर्णय में स्पष्ट की जाएंगी।
आसाराम अप्रैल 2018 से जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं। उन्हें 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में जोधपुर की अदालत ने दोषी ठहराया था।
उन्हें इस साल 7 जनवरी 2025 को पहली बार स्वास्थ्य कारणों से अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे जुलाई और अगस्त में बढ़ाया गया था।
हालांकि 27 अगस्त को न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और विनीत कुमार माथुर की पीठ ने उनकी जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने 30 अगस्त को सरेंडर किया था।




