सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक बयान के मामले में चल रही कार्यवाही पर लगी अंतरिम रोक को 4 दिसंबर तक बढ़ा दिया। यह मामला उनके 2022 के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर टिप्पणी से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने बताया कि स्थगन के लिए एक पत्र प्रसारित हुआ है, जिसके बाद सुनवाई आगे बढ़ा दी गई।
राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 29 मई के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने लखनऊ की ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था। शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की अदालत में आरोप लगाया था कि दिसंबर 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गांधी ने चीन के साथ झड़पों के संदर्भ में भारतीय सेना पर “अपमानजनक” टिप्पणियाँ कीं। ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ मानहानि के आरोप पर समन जारी किया था।
4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए ट्रायल कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
उसी सुनवाई के दौरान पीठ ने गांधी की कथित टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए पूछा था:
“आपको यह कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर चीनियों ने कब्जा कर लिया है? क्या आप वहाँ थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है?”
पीठ ने कहा था, “बिना किसी ठोस सामग्री के आप ऐसे बयान क्यों देते हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसा नहीं कहेंगे।”
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय से कहा कि “यदि नेता प्रतिपक्ष मुद्दे नहीं उठा सकेंगे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी।” उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि किसी फौजदारी शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है, जो इस मामले में नहीं हुआ।
ट्रायल कोर्ट में गांधी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने कहा था कि शिकायत को पढ़कर ही आरोप “मनगढ़ंत” प्रतीत होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी लखनऊ के निवासी नहीं हैं, और अदालत को समन जारी करने से पहले शिकायत के तथ्यों की सत्यता की जाँच करनी चाहिए थी तथा केवल prima facie मामला बनता दिखे तभी समन जारी होना चाहिए था।
अंतरिम संरक्षण अब 4 दिसंबर की अगली सुनवाई तक जारी रहेगा।




