पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से मांगा जवाब

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा है। यह याचिका मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े ₹540 करोड़ के कथित नशा धन के मामले में आय से अधिक संपत्ति (DA) केस को लेकर दायर की गई है।

न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया ने मामले की सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी, जबकि मजीठिया को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने एडवोकेट जनरल मनिंदरजीत सिंह बेदी को याचिका में उठाए गए मुद्दों पर निर्देश लेने को कहा है।

सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए मजीठिया के वकील अर्शदीप सिंह क्लेर ने बताया, “एजी खुद अदालत में उपस्थित हुए थे। उन्हें यह जानने के लिए निर्देश दिए गए हैं कि याचिका क्या है और याची की शिकायत क्या है।” उन्होंने यह भी बताया कि अदालत ने संशोधित रिमांड आदेश रिकॉर्ड पर लाने को कहा है। पहले 5 जुलाई की तारीख वाला रिमांड आदेश जमा किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर 6 जुलाई कर दिया गया।

बिक्रम मजीठिया को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (VB) ने 25 जून को DA केस में गिरफ्तार किया था। 26 जून को मोहाली अदालत ने उन्हें सात दिन की रिमांड पर भेजा था, जिसे 2 जुलाई को चार दिन और बढ़ाया गया। विजिलेंस ब्यूरो ने आरोप लगाया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री ने ₹540 करोड़ से अधिक के नशे के धन को विभिन्न माध्यमों से व्हाइट किया।

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मजीठिया ने 1 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए अपनी गिरफ्तारी को “राजनीतिक प्रतिशोध और बदले की कार्रवाई” करार दिया। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी और रिमांड आदेशों को रद्द करने की मांग करते हुए इसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज एफआईआर को “स्पष्ट रूप से अवैध” और स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया।

याचिका में कहा गया है कि रिमांड आवेदन में कोई ठोस जांचात्मक आवश्यकता नहीं दर्शाई गई है और उसमें उनके प्रभाव, कथित विदेशी संपर्कों, तथा दस्तावेजों व डिजिटल साक्ष्यों से सामना कराने जैसे अस्पष्ट दावों पर भरोसा किया गया है। मजीठिया ने 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें राज्य सरकार की उनकी कस्टोडियल पूछताछ की मांग को खारिज कर दिया गया था, जबकि आरोप समान थे।

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मजीठिया ने यह भी तर्क दिया कि मौजूदा कार्यवाही जांच प्रक्रिया के दुरुपयोग, रिमांड शक्तियों की मनमानी, और निष्पक्ष जांच व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन को दर्शाती है।

DA केस में दर्ज ताज़ा FIR, पंजाब पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) द्वारा 2021 के ड्रग्स मामले की जांच में सामने आई बातों पर आधारित है। मजीठिया पर 2021 में NDPS एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, जो 2018 की स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर आधारित था। उन्हें पांच महीने से अधिक समय तक पटियाला जेल में रखा गया था और अगस्त 2022 में हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।

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