पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 2001 में पूर्व हरियाणा विधायक रीलू राम पुनिया और उनके सात परिजनों की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए सोनिया और उनके पति संजीव कुमार को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा उनकी समयपूर्व रिहाई पर निर्णय लिए जाने तक दोनों को जमानत पर रिहा किया जाए।
न्यायमूर्ति सूर्य प्रताप सिंह ने 21 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो 9 दिसंबर को सुनाया गया।
23 अगस्त 2001 की रात हिसार जिले के लिटानी गांव स्थित फार्महाउस में सो रहे पूर्व विधायक रीलू राम पुनिया (50) और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में पुनिया की पत्नी कृष्णा देवी, बेटा सुनील कुमार, बेटी प्रियंका, बहू शकुंतला देवी, पोता लोकेश, पोतियां शिवानी और 45 दिन की प्रीति शामिल थीं। सोनिया पुनिया की बेटी हैं।
सोनिया और संजीव को इस सामूहिक हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। दोनों को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
दंपति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के अगस्त 2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी समयपूर्व रिहाई की अर्जी को खारिज करते हुए उन्हें “आजीवन जेल में रखने” की सिफारिश की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने राज्य की 2002 की समयपूर्व रिहाई नीति के तहत आवेदन किया था और सभी पात्रता शर्तें पूरी कर ली थीं।
सोनिया ने दावा किया कि वह 21 वर्ष से अधिक की वास्तविक सजा और रिमिशन जोड़कर कुल 26 वर्ष से अधिक की सजा काट चुकी हैं। वहीं संजीव ने कहा कि उन्होंने 20 वर्ष से अधिक की वास्तविक सजा और रिमिशन सहित लगभग 25 वर्ष से अधिक की कुल सजा पूरी कर ली है।
हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को “पूर्णत: मनमाना, अवैध और कानून की नजर में अस्थिर” करार दिया। अदालत ने कहा कि राज्य स्तरीय समिति ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर टिप्पणियाँ कीं, जिनमें यह सिफारिश भी शामिल थी कि दंपति को “आख़िरी सांस तक जेल में रखा जाए”।
अदालत ने कहा कि समिति का क्षेत्राधिकार सिर्फ यह तय करने तक सीमित था कि क्या 2002 की नीति के तहत समयपूर्व रिहाई का लाभ दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करना समिति के अधिकार क्षेत्र से बाहर था।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अगस्त 2024 के आदेश को रद्द करते हुए निर्देश दिया:
- सक्षम प्राधिकारी दो माह के भीतर 12 अप्रैल 2002 की नीति के अनुरूप दंपति की समयपूर्व रिहाई पर पुनर्विचार करे।
- निर्णय होने तक सोनिया और संजीव कुमार को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।
- जमानत बांड मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, हिसार की संतुष्टि के अनुसार जमा किए जाएं।
रीलू राम पुनिया और उनके परिवार की सनसनीखेज हत्या ने उस समय पूरे देश को झकझोर दिया था, और दंपति की सजा को लेकर कानूनी लड़ाई दो दशकों से अधिक समय से जारी है।

