पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित कैश-फॉर-सेक्स ऑडियो क्लिप मामले में दायर जनहित याचिका निपटाई, याची को ट्रायल कोर्ट जाने का निर्देश

 पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से जुड़े कथित कैश-फॉर-सेक्स स्कैंडल के वायरल ऑडियो क्लिप्स की फोरेंसिक जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL) को गुरुवार को निपटाते हुए याची को संबंधित ट्रायल कोर्ट का रुख करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने मई में अधिवक्ता निखिल सराफ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिका में अप्रैल में वायरल हुई दो ऑडियो रिकॉर्डिंग्स की स्वतंत्र फोरेंसिक जांच की मांग की गई थी, जिनमें कथित तौर पर एक कार्यरत आईपीएस अधिकारी को यौन संबंधों के लिए वित्तीय सौदेबाज़ी करते हुए सुना गया था।

याचिकाकर्ता ने एक महिला कांस्टेबल द्वारा मादक पदार्थों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी के दौरान कथित रूप से जिस अधिकारी का नाम लिया गया, उसकी पहचान सुनिश्चित करने की भी मांग की थी।

Video thumbnail

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सलील सभलोक ने दलील दी कि उक्त अधिकारी को अनुचित तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और ऑडियो क्लिप्स “सुनने योग्य नहीं, संपादित और अप्रमाणिक” हैं। उन्होंने कहा कि याचिका में वास्तविक जनहित नहीं है और यह वैकल्पिक उपायों को दरकिनार करते हुए दाखिल की गई है। उन्होंने अदालत को बताया कि अधिकारी के खिलाफ शिकायत अभी भी राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) के समक्ष लंबित है।

इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील अमित शर्मा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने कई वैधानिक मंचों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं से भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार मानती है कि ऑडियो रिकॉर्डिंग्स झूठी या अस्पष्ट हैं, तो इसका हल फोरेंसिक जांच है, न कि संस्थागत अस्वीकार।

READ ALSO  जब मुकदमा चल रहा हो तो अभियुक्त को गैजेट, खातों के पासवर्ड प्रकट करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह ट्रायल कोर्ट का रुख करे। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि यदि मजिस्ट्रेट कोई कार्रवाई नहीं करता, तो याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में पुनः आ सकता है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles