मजिस्ट्रेट मुद्रित प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर करना संज्ञान लेने का वैध कार्य नहीं है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मजिस्ट्रेट के द्वारा मुद्रित प्रोफार्मा दाखिल करना और उस पर हस्ताक्षर करना संज्ञान लेने का वैध कार्य नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ आईपीसी की धारा 419 और 420 के तहत दर्ज मामले से उत्पन्न आरोप पत्र को रद्द करने के लिए दायर आवेदन पर

To Read More Please Subscribe to VIP Membership for Unlimited Access to All the Articles, Download Available Copies of Judgments/Order, Acess to Central/State Bare Acts, Advertisement Free Content, Access to More than 4000 Legal Drafts( Readymade Editable Formats of Suits, Petitions, Writs, Legal Notices, Divorce Petitions, 138 Notices, Bail Applications etc.) in Hindi and English.

Click to Subscribe

If you are already a VIP Member, Click to Login Now

READ ALSO  किसी आरोपी की जमानत लेने पर कौन सी जिम्मेदारी आपके ऊपर आ सकती है जानिए
Ad 20- WhatsApp Banner

Related Articles

Latest Articles