सांसद प्रज्वल रेवण्णा ने अपने खिलाफ दर्ज यौन शोषण और बलात्कार के मामले में एक बार फिर कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख करते हुए जमानत की मांग की है। मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई, लेकिन अदालत ने फिलहाल आदेश सुरक्षित रख लिया है।
यह इस हाई-प्रोफाइल मामले में रेवण्णा की दूसरी जमानत याचिका है। इससे पहले अदालत ने गंभीर आरोपों और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के मद्देनज़र उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
मंगलवार की सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग के. नवदगी ने रेवण्णा की ओर से पेश होते हुए कहा कि पिछले आदेश के बाद परिस्थितियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। उन्होंने ट्रायल कोर्ट में लंबी प्रक्रियात्मक देरी को जमानत पर पुनर्विचार का उचित आधार बताया।

नवदगी ने यह भी तर्क दिया कि शिकायत कथित घटनाओं के चार साल बाद दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोप मूल शिकायत में नहीं थे, बल्कि पीड़िता के बयान के दौरान जोड़े गए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रेवण्णा न्यायिक प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं डालना चाहते और देरी के चलते उनकी निरंतर हिरासत अनुचित है।
वहीं, राज्य सरकार ने जमानत का विरोध किया। सरकारी वकील ने तर्क दिया कि कार्यवाही में हो रही देरी के लिए स्वयं रेवण्णा जिम्मेदार हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद बार-बार बचाव पक्ष के गवाहों को बुलाकर अदालत की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं, जिससे मुकदमा धीमा हो गया है।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि वह उचित समय पर जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी।