इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। यह पोस्ट भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने के निर्णय के बाद की गई थी।
न्यायमूर्ति जे.जे. मुनिर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ किए गए पोस्ट में सरकार के मुखिया के प्रति अशोभनीय और अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया था।
“भावनाओं में बहकर संवैधानिक पदों का अपमान स्वीकार्य नहीं”

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अजीत यादव (24) के वकील ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल भावनाओं में बहकर यह पोस्ट कर बैठा। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा किया गया पोस्ट सरकार के प्रमुख के प्रति अशोभनीय भाषा से भरा था। भावनाएं इस हद तक नहीं बहने दी जा सकतीं कि देश की संवैधानिक संस्थाओं को अपमानित करने वाले शब्दों का प्रयोग किया जाए।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट की हस्तक्षेपकारी शक्तियों के उपयोग हेतु उपयुक्त नहीं है और इसलिए एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज की जाती है।
भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज
अजीत यादव के खिलाफ भारत की नई दंड संहिता—भारतीय न्याय संहिता (BNS)—की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के विरुद्ध की गई सैन्य कार्रवाई रोकने के निर्णय को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह पोस्ट भावनात्मक आवेग में की गई थी और उनका मुवक्किल किसी आपराधिक मंशा से प्रेरित नहीं था, लेकिन अदालत ने इसे एफआईआर निरस्त करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं माना।