उत्तर प्रदेश में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही कानूनी कार्यवाही जारी है। एक सत्र के दौरान जिसमें एक साथ 18 मामलों को संबोधित किया गया, अदालत ने इसमें शामिल सभी पक्षों को सुना। सोमवार की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की दलील से चर्चा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठा, जिसमें विवादास्पद मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद शामिल था।
हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 केवल विवाद रहित स्थलों पर ही लागू होना चाहिए। उनके दावे के मुताबिक, यह कानून श्रीकृष्ण जन्मभूमि जैसे स्थलों पर लागू नहीं होता, जहां पर विवाद चल रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विचाराधीन संरचना का चरित्र अभी तक निर्धारित नहीं किया गया है और इसका निर्णय केवल साक्ष्य के आधार पर किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने घोषणा की कि सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा कि क्या मंदिर में अवैध निर्माण से संबंधित मुकदमा आगे बढ़ सकता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अदालत मुकदमे के दौरान प्रस्तुत गुणों के आधार पर मामलों की स्वीकार्यता का निर्धारण करेगी।
मामलों की स्वीकार्यता का मुद्दा सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के अनुसार विचाराधीन है, जो मुद्दों को तैयार करने और पक्षों से साक्ष्य की जांच करने के बाद निर्णय लेगा। इससे पहले, मुस्लिम पक्ष ने 12 अक्टूबर, 1968 के एक समझौते का हवाला देते हुए दलील दी थी कि मुकदमा सीमाओं के क़ानून द्वारा बाधित था, जिसने कथित तौर पर विवादित भूमि को शाही ईदगाह की प्रबंधन समिति को हस्तांतरित कर दिया था। 1974 में निपटाए गए एक सिविल मुकदमे में इस समझौते की पुष्टि की गई थी।