हाईकोर्ट का अहम फैसला: एक्सपायरी के बाद भी 30 दिनों तक वैध रहता है ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा कंपनी को रिकवरी का अधिकार नहीं

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता को लेकर एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ड्राइविंग लाइसेंस अपनी समाप्ति (expiry) की तारीख से 30 दिनों की सांविधिक अवधि (statutory period) तक प्रभावी रहता है।

इस आधार पर, कोर्ट ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें बीमा कंपनी ने तर्क दिया था कि दुर्घटना के दिन चालक का लाइसेंस एक्सपायर हो चुका था, इसलिए उन्हें रिकवरी का अधिकार (recovery rights) मिलना चाहिए।

जस्टिस वीरेंद्र अग्रवाल की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 14 के प्रावधान (proviso) का हवाला दिया और कहा कि कानून लाइसेंस धारक को नवीनीकरण के लिए 30 दिनों का ‘ग्रेस पीरियड’ प्रदान करता है, जिसके दौरान लाइसेंस कानूनी रूप से वैध माना जाता है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सतबीर और अन्य से जुड़ा है। बीमा कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT), जींद द्वारा 4 जनवरी 2003 को पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायाधिकरण ने दावेदारों के पक्ष में मुआवजा दिया था और बीमा कंपनी को भुगतान करने का निर्देश दिया था, लेकिन कंपनी को वाहन मालिक से राशि वसूलने का अधिकार (recovery rights) नहीं दिया था।

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बीमा कंपनी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची। उनकी मुख्य दलील यह थी कि दुर्घटना वाले दिन वाहन चालक (प्रतिवादी संख्या 3) के पास वैध और प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, जो बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है।

पक्षकारों की दलीलें

अपीलकर्ता बीमा कंपनी के वकील ने तर्क दिया कि चालक का लाइसेंस 4 जून 2001 को एक्सपायर हो गया था, जबकि दुर्घटना 4 जुलाई 2001 को हुई। चालक ने अपना लाइसेंस दुर्घटना के बाद 6 अगस्त 2001 को रिन्यू कराया था। उनका कहना था, “चूंकि लाइसेंस 04.06.2001 को समाप्त हो गया था, इसलिए चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था।” इस आधार पर, बीमा कंपनी ने ट्रिब्यूनल के आदेश में संशोधन कर रिकवरी अधिकार की मांग की।

दूसरी ओर, वाहन मालिक (प्रतिवादी संख्या 4) के वकील ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि बीमा कंपनी का यह दृष्टिकोण मोटर वाहन अधिनियम के वैधानिक जनादेश के विपरीत है। उन्होंने धारा 14 के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि लाइसेंस समाप्ति के बाद भी 30 दिनों तक प्रभावी रहता है।

गणना समझाते हुए उन्होंने कहा कि लाइसेंस 4 जून 2001 की आधी रात को समाप्त हुआ। 30 दिनों की वैधानिक अवधि 5 जून 2001 से शुरू हुई और इसका 30वां दिन 4 जुलाई 2001 को पड़ता है, जिस दिन दुर्घटना हुई थी। इसलिए, दुर्घटना के समय लाइसेंस कानूनी रूप से प्रभावी था।

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हाईकोर्ट का विश्लेषण और टिप्पणी

जस्टिस वीरेंद्र अग्रवाल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 14 के प्रावधान का विश्लेषण किया। कोर्ट ने कहा:

“उक्त प्रावधान को पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि विधायिका ने स्पष्ट रूप से एक एक्सपायर हो चुके ड्राइविंग लाइसेंस की प्रभावशीलता को उसकी समाप्ति की तारीख से तीस दिनों की वैधानिक अवधि के लिए बढ़ाया है।”

कोर्ट ने तिथियों की गणना करते हुए स्थिति को स्पष्ट किया:

  • लाइसेंस समाप्ति की तिथि: 04.06.2001
  • ग्रेस पीरियड की शुरुआत: 05.06.2001
  • 30वां दिन (वैधता की अंतिम तिथि): 04.07.2001 (मध्यरात्रि तक)
  • दुर्घटना का समय: 04.07.2001 (सुबह 10:45 बजे)

कोर्ट ने कहा, “दुर्घटना 04.07.2001 को सुबह लगभग 10:45 बजे हुई, जो वैधता की वैधानिक समय सीमा के भीतर है। इसलिए, कानून के संचालन द्वारा, दुर्घटना के समय लाइसेंस प्रभावी बना रहा।”

अपने निर्णय को पुख्ता करने के लिए, हाईकोर्ट ने निम्नलिखित पूर्व निर्णयों का भी हवाला दिया:

  1. State of Haryana and another v. Karkor and others: जिसमें यह माना गया था कि 30 दिनों के ग्रेस पीरियड के दौरान लाइसेंस वैध रहता है और बीमा कंपनी को केवल इसलिए रिकवरी अधिकार नहीं मिल सकते कि लाइसेंस इस अवधि में एक्सपायर हुआ था।
  2. Oriental Insurance Co. Ltd. v. Smt. Santosh Kumari (इलाहाबाद हाईकोर्ट): जिसमें समान प्रावधान की व्याख्या करते हुए कहा गया था कि बीमाकर्ता इस अवधि के दौरान पॉलिसी शर्तों के उल्लंघन का आरोप नहीं लगा सकता।
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फैसला

हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवादी संख्या 3 का लाइसेंस दुर्घटना की तारीख और समय पर अस्तित्व में था। कोर्ट ने कहा कि 4 जून 2001 को लाइसेंस की समाप्ति और कानून के तहत दिए गए 30 दिनों के विस्तार को एक साथ पढ़ने पर “संदेह की कोई गुंजाइश नहीं बचती” कि दुर्घटना लाइसेंस की कानूनी प्रभावशीलता की अवधि के भीतर हुई थी।

परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी की अपील को खारिज कर दिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, जींद के 4 जनवरी 2003 के फैसले को बरकरार रखा।

केस विवरण:

  • केस टाइटल: नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सतबीर और अन्य
  • केस नंबर: FAO No. 1479 of 2003(O&M)
  • कोरम: माननीय जस्टिस वीरेंद्र अग्रवाल

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