पटना हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि पेपर लीक के आरोपों को लेकर कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए परीक्षा रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता। यह परीक्षा 13 दिसंबर 2023 को बिहार के 900 से अधिक केंद्रों पर आयोजित की गई थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने बीपीएससी को निर्देश दिया कि वह मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया को जारी रखे और इसे शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित करे। यह फैसला उस समय आया है जब प्रारंभिक परीक्षा को लेकर विवाद गहराता जा रहा था, खासकर राजधानी पटना के बापू परीक्षा परिसर में नियुक्त सैकड़ों अभ्यर्थियों के बहिष्कार के बाद।
प्रश्नपत्र लीक की आशंका को लेकर अभ्यर्थियों ने बापू परीक्षा परिसर में परीक्षा का बहिष्कार किया था, जिसके चलते प्रशासन को इन अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करनी पड़ी। यह परीक्षा राजधानी के विभिन्न केंद्रों पर कराई गई। इससे अन्य अभ्यर्थियों में असंतोष फैल गया और उन्होंने परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए, खासकर उन 100 से अधिक केंद्रों को लेकर जहां अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई थीं।

इस पूरे प्रकरण को विपक्षी नेता तेजस्वी यादव और INDIA गठबंधन के अन्य नेताओं ने जोर-शोर से उठाया और पुनः परीक्षा कराने की मांग की। अभ्यर्थियों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया, जिसे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी समर्थन दिया। उन्होंने इस मुद्दे को और आगे बढ़ाते हुए आमरण अनशन शुरू किया, जिसे बाद में दो हफ्तों के भीतर चिकित्सकीय सलाह पर समाप्त किया गया।
हाईकोर्ट के इस निर्णय से अब बीपीएससी की मुख्य परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है, और आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि वह आगे की परीक्षा प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराए।