सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक रोजगार के लिए पात्रता का मूल्यांकन या तो लागू भर्ती नियमों में निर्दिष्ट तिथि पर किया जाना चाहिए या यदि ऐसी कोई तिथि नहीं दी गई है, तो उस तिथि पर किया जाना चाहिए जो भर्ती विज्ञापन में कट-ऑफ के रूप में निर्धारित हो। कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के एक निर्णय को निरस्त करते हुए यह निर्णय दिया और कहा कि पश्चिम बंगाल में 2020–2022 सत्र के D.El.Ed. पाठ्यक्रम में नामांकित उम्मीदवारों को 21 अक्टूबर 2022 की अधिसूचना के तहत सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देना वैध था।
पृष्ठभूमि:
अपीलकर्ता पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित 2020–2022 डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (D.El.Ed.) पाठ्यक्रम में नामांकित थे। कोविड-19 महामारी और प्रशासनिक विलंब के कारण उनका पाठ्यक्रम 30 जून 2022 तक पूर्ण नहीं हो सका। आगामी भर्ती प्रक्रिया से अयोग्य ठहराए जाने और अधिकतम आयु सीमा पार कर जाने की आशंका से घबराकर अपीलकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भर्ती प्रक्रिया पर रोक सहित कई निर्देशों की मांग की।
जब याचिका लंबित थी, तो बोर्ड ने 29 सितंबर 2022 को पार्ट-I के नतीजे घोषित किए और कोर्ट को सूचित किया कि 2020–2022 सत्र के TET उत्तीर्ण उम्मीदवारों, जिन्होंने पार्ट-I पास कर लिया है, उन्हें भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। इस आश्वासन के आधार पर एकल न्यायाधीश ने याचिका का निस्तारण करते हुए यह रिकॉर्ड किया कि बोर्ड ऐसे उम्मीदवारों को भाग लेने देगा।

डिवीजन बेंच में दी गई दलीलें:
निजी प्रतिवादी, जो पहले से ही D.El.Ed. प्रमाणपत्र धारक थे, ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी और तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल प्राथमिक विद्यालय शिक्षक भर्ती नियम, 2016 (22 दिसंबर 2020 को संशोधित) के नियम 6(2) के अनुसार भर्ती विज्ञापन की तिथि तक न्यूनतम योग्यता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संबंधित तिथि 29 सितंबर 2022 थी और चूंकि अपीलकर्ता उस तिथि तक D.El.Ed. पास नहीं थे, इसलिए वे पात्र नहीं थे।
डिवीजन बेंच ने इस तर्क को स्वीकार किया, 29 सितंबर 2022 को अधिसूचना तिथि मानते हुए नियम 6(2) को एक अनिवार्य कट-ऑफ मानकर अपीलकर्ताओं की भर्ती प्रक्रिया में भागीदारी को निरस्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण:
जस्टिस पमिडिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने डिवीजन बेंच के फैसले को पलटते हुए कहा कि वास्तविक भर्ती अधिसूचना 21 अक्टूबर 2022 को जारी हुई थी, न कि 29 सितंबर 2022 को। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नियम 6(2) कोई कट-ऑफ तिथि निर्धारित नहीं करता, बल्कि यह NCTE के वर्तमान मानदंडों को सम्मिलित करता है।
कोर्ट ने कहा:
“नियम का उद्देश्य और उद्देश्य यह नहीं है कि वह योग्यता प्राप्त करने के लिए कोई कट-ऑफ तिथि घोषित करे।”
कोर्ट ने हाई कोर्ट में बोर्ड द्वारा दायर हलफनामे के उस दृष्टिकोण का समर्थन किया जिसमें कहा गया था कि NCTE की अधिसूचना ने कोई तिथि निर्धारित नहीं की थी और पात्रता का मूल्यांकन आवेदन की अंतिम तिथि या मूल्यांकन की तिथि तक भी किया जा सकता है।
कोर्ट ने Bhupinderpal Singh vs. State of Punjab, Rakesh Kumar Sharma vs. State (NCT of Delhi), और हालिया संविधान पीठ के निर्णय Tej Prakash Pathak vs. Rajasthan High Court में दिए गए सिद्धांत को दोहराते हुए कहा:
“जहां नियमों या विज्ञापन में कोई तिथि निर्दिष्ट नहीं है, वहां पात्रता निर्धारित करने की प्रासंगिक तिथि आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि होगी।”
साथ ही कोर्ट ने यह भी माना कि अपीलकर्ताओं ने 22 अगस्त 2022 को भर्ती अधिसूचना से काफी पहले याचिका दायर की थी और बोर्ड की ओर से उन्हें भाग लेने की अनुमति देना असाधारण परिस्थितियों में न्यायसंगत था।
निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए MAT No. 1725 of 2022 में डिवीजन बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि 21 अक्टूबर 2022 की अधिसूचना के तहत प्रारंभ की गई भर्ती प्रक्रिया अपीलकर्ताओं को अयोग्य ठहराए बिना जारी रखी जाए।
पीठ ने निष्कर्ष में कहा:
“हमें संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत अपनी शक्ति और अधिकार का प्रयोग कर पक्षकारों को पूर्ण न्याय देने में कोई संकोच नहीं है।”
सभी लंबित आवेदन, हस्तक्षेप व पक्षकार बनाने के लिए, वापस लेने के रूप में खारिज कर दिए गए, साथ ही याचिकाकर्ताओं को उचित मंच पर उपाय प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी गई।
मामला: Soumen Paul एवं अन्य बनाम Shrabani Nayek एवं अन्य