पहलगाम आतंकी हमले मामले में जम्मू की एनआईए अदालत ने दो आरोपियों की हिरासत 45 दिन बढ़ाई

जम्मू की विशेष एनआईए अदालत ने पहलगाम आतंकी हमले मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों की न्यायिक हिरासत 45 दिन के लिए बढ़ा दी है। दोनों पर पाकिस्तानी आतंकियों को पनाह देने का आरोप है, जिन्होंने 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोगों की हत्या कर दी थी और 16 अन्य को घायल किया था।

विशेष एनआईए न्यायाधीश संदीप गंडोत्रा ने 18 सितम्बर को आदेश पारित करते हुए कहा कि जांच अभी अहम मोड़ पर है और डीएनए प्रोफाइलिंग सहित कई फॉरेंसिक रिपोर्ट लंबित हैं। अदालत ने माना कि आरोपियों की हिरासत बढ़ाने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

अदालत ने कहा, “जांच पूरी होने तक 90 दिन की अवधि से आगे 45 दिन की अतिरिक्त हिरासत दी जाती है। जांच अधिकारी को निर्देश है कि मामले की जांच यथाशीघ्र पूरी करें।”

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आरोपी बशीर अहमद जोठट (बैसारण, पहलगाम) और परवेज़ अहमद (बटकूट, पहलगाम) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया। दोनों फिलहाल जम्मू की अंपल्ला जेल में बंद हैं।

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एनआईए की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक चंदन कुमार सिंह ने अदालत से कहा कि मामले की जांच अत्यंत महत्वपूर्ण चरण में है। उन्होंने विस्तार के लिए निम्न बिंदुओं का उल्लेख किया:

  • गवाहों के बयान दर्ज होना बाकी।
  • फॉरेंसिक और डीएनए रिपोर्ट लंबित।
  • पाकिस्तानी नंबरों से जुड़े मोबाइल डेटा का विश्लेषण।
  • 28 जुलाई के एनकाउंटर में मारे गए तीन आतंकियों से बरामद हथियारों और अन्य सामान की जांच रिपोर्ट प्रतीक्षारत।
  • आरोपियों के इशारे पर जब्त कंबल, चादरें और शॉल डीएनए परीक्षण हेतु भेजे गए, जिसकी रिपोर्ट लंबित है।
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सिंह ने यह भी बताया कि जांच के दौरान और संदिग्धों व ओवरग्राउंड वर्करों की पहचान सामने आई है।

एनआईए के अनुसार, बशीर और परवेज़ ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े तीन पाकिस्तानी आतंकियों को पहलगाम के हिल पार्क इलाके में मौसमी “ढोक” (झोपड़ी) में शरण दी थी।

यही आतंकी बाद में 22 अप्रैल को बैसारण मैदान में हुए नरसंहार में शामिल थे, जिसमें पर्यटकों को निशाना बनाया गया था।

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दोनों आरोपियों को 22 जून को गिरफ्तार किया गया था और तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं।

अदालत ने जांच अधिकारी को लंबित रिपोर्ट और गवाहों के बयान जल्द से जल्द प्रस्तुत करने के निर्देश दिए और कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को समय पर पूरा किया जाना आवश्यक है।

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