गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति ने देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर को सम्मानित करने की स्वीकृति दी। इसके साथ ही, वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन को उनके विधि क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
न्यायमूर्ति खेहर का शानदार करियर
जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने 1977 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून की पढ़ाई पूरी की और 1979 में वहीं से एलएल.एम. की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1979 में वकील के रूप में नामांकन किया और मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। फरवरी 1995 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा दिया गया।
8 फरवरी 1999 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद, 29 नवंबर 2009 को उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। अगस्त 2010 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया।
13 सितंबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 4 जनवरी 2017 को उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला और 27 अगस्त 2017 को इस पद से सेवानिवृत्त हुए।
पद्म पुरस्कार 2025: उत्कृष्टता का सम्मान
इस वर्ष राष्ट्रपति ने कुल 139 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है, जिनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री शामिल हैं। ये प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं, जो कला, समाजसेवा, लोक प्रशासन, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए दिए जाते हैं।
पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं:
• पद्म विभूषण: असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए।
• पद्म भूषण: उच्च श्रेणी की विशिष्ट सेवा के लिए।
• पद्म श्री: किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए।
इन पुरस्कारों को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मार्च या अप्रैल के आसपास राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
न्यायमूर्ति खेहर का सम्मान भारत की न्यायपालिका और विधि व्यवस्था में उनके अतुलनीय योगदान को दर्शाता है। यह देश के विधि क्षेत्र में उनकी उत्कृष्टता और ईमानदारी का प्रतीक है।